चुनावी बांड की पारदर्शिता, चुनाव आयोग की जवाबदेही और राजनीतिक सुधारों के लिए लगातार आवाज़ उठाने वाले जगदीप छोकर का आज सुबह 80 वर्ष की आयु में हार्ट अटैक से निधन हो गया।
उनके निधन से भारतीय लोकतंत्र को गहरा आघात पहुँचा है। छोकर न केवल सिद्धांतों के व्यक्ति थे, बल्कि वे उन चुनिंदा लोगों में रहे जिन्होंने सत्ता और व्यवस्था से टकराकर भी लोकतंत्र और जनहित को सर्वोपरि रखा।
जगदीप छोकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। ADR ने देश में चुनावी सुधारों और राजनीतिक पारदर्शिता की दिशा में अभूतपूर्व काम किया है। यह संगठन राजनीतिक दलों की फंडिंग, प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड और चुनावी प्रक्रिया की खामियों को उजागर करने के लिए जाना जाता है। छोकर ने ADR के माध्यम से नागरिकों को जागरूक किया और लोकतांत्रिक प्रणाली को जवाबदेह बनाने की दिशा में ठोस पहल की।
वे हमेशा चुनाव सुधारों और जनता के अधिकारों की लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में रहे। उन्होंने चुनाव आयोग की नीतियों और सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए यह साबित किया कि लोकतंत्र सिर्फ़ चुनाव कराने तक सीमित नहीं, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और न्यायसंगत व्यवस्था उसकी असली आत्मा है।
छोकर के निधन से एक गहरी कमी आई है, जिसे पूरा करना आसान नहीं होगा। लेकिन उनके सहयोगियों और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लोगों का मानना है कि उनका दिखाया रास्ता और उनके विचार आने वाले समय में और भी लोगों को प्रेरित करेंगे।
परिवार की ओर से जानकारी दी गई है कि उनके निधन के बाद उनका शरीर एक अस्पताल को दान किया जाएगा। यह कदम भी उनके जीवन के मूल्यों की तरह ही समाज और मानवता के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जा रहा है।
आज देश ने एक ऐसे प्रहरी को खो दिया है, जिसने लोकतंत्र की रक्षा के लिए पूरी निष्ठा और निर्भीकता के साथ काम किया।