तमिलनाडु सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के आधार पर 10 विधियों को अधिसूचित कर लागू कर दिया है, जिन्हें राज्यपाल आर.एन. रवि की लंबी देरी और असंवैधानिक तरीके से राष्ट्रपति को भेजने के कारण अदालत ने “स्वतः स्वीकृत (deemed assent)” माना है। यह भारतीय संवैधानिक इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी राज्य सरकार ने राज्यपाल की मंजूरी के बिना अदालत के आदेश पर कानूनों को लागू किया है।
सुप्रीम कोर्ट की यह ऐतिहासिक टिप्पणी कल रात अपलोड किए गए फैसले में सामने आई, जिसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की खंडपीठ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा पहले अस्वीकार किए गए विधेयकों को जब दोबारा विधानसभा से पारित कर राज्यपाल को भेजा गया, तो उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजना असंवैधानिक था। इसलिए, ये विधेयक 18 नवम्बर 2023 को ही स्वीकृत माने जाएंगे – जिस दिन इन्हें दोबारा राज्यपाल को प्रस्तुत किया गया था।
तमिलनाडु सरकार की अधिसूचना में कहा गया है:
“माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 8 अप्रैल 2025 के आदेश के अनुसार, विधेयकों को राष्ट्रपति को भेजने की कार्रवाई विधिसम्मत नहीं थी और इन्हें उसी दिन से स्वीकृत माना जाएगा जिस दिन इन्हें राज्यपाल को पुनः प्रस्तुत किया गया था।”
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“इतिहास बन गया है, क्योंकि ये भारत के पहले ऐसे कानून हैं जो राज्यपाल या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना, केवल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बल पर लागू हुए हैं।”
इन विधेयकों में कुछ ऐसे भी हैं जो राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति (Chancellor) पद से हटाकर राज्य सरकार को यह अधिकार देते हैं – जिसे लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।
अधिसूचित कानूनों की सूची इस प्रकार है:
- तमिलनाडु फिशरीज यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2020
- तमिलनाडु वेटनरी एंड एनिमल साइंसेज़ यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2020
- तमिलनाडु यूनिवर्सिटीज लॉज़ (संशोधन) अधिनियम, 2022
- तमिलनाडु डॉ. आंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2022
- तमिलनाडु डॉ. एम.जी.आर. मेडिकल यूनिवर्सिटी, चेन्नई (संशोधन) अधिनियम, 2022
- तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2022
- तमिल यूनिवर्सिटी (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2022
- तमिलनाडु फिशरीज यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2023
- तमिलनाडु वेटनरी एंड एनिमल साइंसेज़ यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2023
- तमिलनाडु डॉ. आंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2023
यह निर्णय न केवल संवैधानिक व्याख्या के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है, बल्कि राज्यों के अधिकारों और राज्यपालों की भूमिका पर भी व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।
Chamchagiri based dabav banane walon ke ooper ek tamacha hai ye nirnay. Chor log ka dabav success kam hote najar aa raha hai