आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा अदानी समूह के साथ किए गए 7,000 मेगावाट सौर ऊर्जा समझौते पर विवाद बढ़ता जा रहा है। यह डील, जिसे भारत का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा अनुबंध बताया गया, विशेषज्ञों और अधिकारियों की सलाह के खिलाफ जाकर मंजूर की गई।

15 सितंबर 2021 को सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने राज्य सरकार को इस डील का प्रस्ताव दिया। इसके बावजूद कि राज्य के वित्त अधिकारियों और ऊर्जा नियामकों ने सलाह दी थी कि इस डील के लिए बेहतर मोलभाव किया जा सकता है।

अधिकारियों की सलाह को किया नजरअंदाज

राज्य के वित्त अधिकारियों ने इस डील को लेकर चेतावनी दी थी कि सौर ऊर्जा की लागत भविष्य में और कम हो सकती है। उनका कहना था कि आंध्र प्रदेश के पास इस अनुबंध में बेहतर सौदा करने का सामर्थ्य था।

इसके बावजूद, मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई में राज्य मंत्रिमंडल ने इस डील को मंजूरी दी। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी डील को सिर्फ 57 दिनों में मंजूरी मिलना असामान्य रूप से तेज़ प्रक्रिया थी।

छिपी लागतें और उच्च कर

अधिकारियों ने यह भी बताया कि इस डील के साथ अतिरिक्त लागतें और कर जुड़े हुए हैं, जो इसे अनुबंध में दिखाई गई कीमत से कहीं अधिक महंगा बना देंगे।

डील पर अमेरिकी जांच

नवंबर 2023 में अदानी समूह के अध्यक्ष गौतम अदानी और सात अन्य अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और प्रतिभूति धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए। यह आरोप भारत के विभिन्न राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में की गई डील्स से जुड़े हैं।

डील की पारदर्शिता पर उठे सवाल

राज्य के कुछ अधिकारियों और ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि इस डील की प्रक्रिया और अदानी समूह को अनुबंध से मिलने वाले भारी लाभों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि यह मामला न केवल भारत के ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बल्कि देश की नीतिगत साख के लिए भी महत्वपूर्ण है।

सरकार और SECI की भूमिका सवालों के घेरे में

राज्य की वित्तीय और नियामक सलाह को नजरअंदाज करते हुए, इस डील का इतनी जल्दी पास होना सरकार और SECI की भूमिका पर भी सवाल खड़े करता है। समझौते से जुड़े दस्तावेजों से पता चला है कि डील का 97% हिस्सा अदानी ग्रीन को जाएगा।

इस डील को लेकर बढ़ती जांच और विवाद से यह स्पष्ट होता है कि भारत में ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए और अधिक सुधारों की आवश्यकता है।

Loading

One thought on “अदानी समूह के साथ सौर ऊर्जा डील विवादों में, विशेषज्ञों और अधिकारियों की सलाह को किया गया नजरअंदाज”
  1. Sab dost ke hawale karne aur Janata ko Bewakoof banane ki kasam khayi hai, kaladhan vachan beiman desh drohi ne.
    Chor bhagao desh bachao

Leave a Reply to S.kumar Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!