एसईकेएमसी के पूर्व उपाध्यक्ष संमपत शुक्ला स्वयं को संगठन का अध्यक्ष घोषित कर अपने द्वारा नवीन ई-फ़ार्म पंजीयन कराने की कोशिशों में विफल रहे है ।पंजीयक व्यावसायिक संघ, छत्तीसगढ़ ने संपत शुक्ला का ई फ़ॉर्म को निरस्त कर दिया है । वहीं अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह द्वारा प्रेषित संशोधित ई-फ़ार्म को स्वीकार करते हुए पंजीबद्ध कर लिया गया है ।
SECL के प्रभावी श्रमिक संगठन साउथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस (SEKMC) में अनुशासनहीनता और संगठन विरोधी गतिविधियों के आरोपों के चलते पूर्व उपाध्यक्ष संपत शुक्ला को संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह ने 30 अक्टूबर को 6 वर्षों के लिए संगठन से निष्कासित करने का आदेश जारी किया था। इससे पहले 19 अक्टूबर को श्री शुकला को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उनकी कथित संगठन विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता पर जवाब मांगा गया। निर्धारित समय सीमा तक जवाब न मिलने के कारण आरोप स्वतः सिद्ध मान लिए गए।
संपत शुक्ला ने स्वयं को संगठन का अध्यक्ष घोषित कर नया ई-फॉर्म पंजीकरण कराने की कोशिश की थी। हालांकि, पंजीयक वायसराय संघ ने उनके ई-फॉर्म को खारिज कर दिया, जिससे उनकी यह कोशिश विफल हो गई।
शुक्ला पर आरोप था कि उन्होंने गैरकानूनी रूप से बैठक बुलाकर खुद को अध्यक्ष घोषित किया और मौजूदा केंद्रीय अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह को हटाने का प्रयास किया। इसके अतिरिक्त, कुसमुंडा क्षेत्र में यूनिट के चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालने के भी आरोप उन पर लगे।
4 नवंबर को कोरबा स्थित SEKMC के यूनियन मुख्यालय में जनरल काउंसिल की बैठक आयोजित की गई। बैठक में केंद्रीय अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह द्वारा शुक्ला और अन्य संगठन विरोधी पदाधिकारियों पर की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई का समर्थन किया गया। बैठक में वक्ताओं ने श्री शुक्ला और कुसमुंडा क्षेत्र के अन्य पदाधिकारियों की गतिविधियों की निंदा की।
सभी सदस्यों ने एकमत से शुक्ला एवं अन्य के निष्कासन प्रस्ताव को अनुमोदित किया और अनुशासन बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि संगठन में अनुशासनहीनता और आंतरिक विवादों पर कड़ा रुख अपनाया जा रहा है। SEKMC ने यह संदेश दिया है कि संगठन की एकता और मर्यादा बनाए रखने के लिए कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा।