कोरबा ।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी पिछले पांच वर्षों से सत्ता पर क़ाबिज़ थी, लेकिन इस दौरान पार्टी संगठन की भारी उपेक्षा हुई। पार्टी नेताओं में और कार्यकर्ताओं में आपसी सामंजस्य की कमी थी और वे निराश महसूस कर रहे थे। राज्य के नेताओं द्वारा वैचारिक मुद्दों पर कम ध्यान देने के कारण स्थानीय कैडर कांग्रेस नेतृत्व का संदेश आम जनता तक पहुंचाने में असफल रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार हुई और लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस लगभग समाप्त हो गई, केवल कोरबा से सांसद ज्योत्सना महंत अपनी सीट बचाने में सफल रही ।
संगठन की उपेक्षा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच वर्षों में जिला पार्टी कार्यालय का निर्माण पूरा नहीं हो सका, जबकि वे सत्ता में थे। आज भी पार्टी का संचालन पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता जयसिंह अग्रवाल के टी.पी. नगर स्थित निजी परिसर से हो रहा है। जब जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेंद्र जायसवाल से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “पार्टी कार्यालयों का निर्माण जल्द ही पूरा हो जाएगा.” यह बयान उन्होंने उक्त निजी परिसर में आयोजित एक प्रत्रकार वार्ता के दौरान दिया।
यह स्थिति पार्टी के संगठनात्मक ढांचे और नेताओं द्वारा वैचारिक मुद्दों पर ध्यान देने की कमी को दर्शाती है, जो पार्टी की हार का एक प्रमुख कारण है।
कांग्रेस पार्टी के लिए स्थानीय निकाय चुनावों में खोई हुई जमीन वापस पाना एक कठिन कार्य बन गया है। बीजेपी के सत्ता में होने के कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के लिए यह चुनाव एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है।
अगर पार्टी संगठनात्मक ढांचे में सुधार नहीं करती और कैडर को प्रेरित नहीं करती, तो इस साल के अंत तक होने वाले महापौर चुनावों और आगामी ग्रामीण निकाय चुनावों में कांग्रेस के लिए संभावनाएँ धूमिल हो सकती हैं।
स्थानीय नेताओं का कहना है कि संगठन की मौजूदा स्थिति और कार्यकर्ताओं में मनोबल की कमी से राज्य में कांग्रेस के लिए यह एक कठिन समय है। पार्टी को न केवल अपनी संगठनात्मक क्षमता को मजबूत करना होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर जनता से जुड़कर अपने खोए हुए विश्वास को फिर से हासिल करना होगा।
अगर जल्द ही संगठनात्मक सुधार नहीं किए गए, तो कांग्रेस के लिए आगामी चुनावों में प्रभावी ढंग से मुकाबला करना मुश्किल हो सकता है।