कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में 2023 के विधानसभा चुनाव के समय सामने आए “वोट चोरी (vote chori / vote theft)” कांड में कर्नाटक CID की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने शुक्रवार को 22000 से अधिक पृष्ठों वाली चार्जशीट अदालत में दाखिल की है। इस चार्जशीट में पूर्व चार बार के विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुभाष गुट्टेदार तथा उनके पुत्र हर्षानंद गुट्टेदार को प्रमुख आरोपियों के रूप में नामजद किया गया है।
🔎 मामला क्या है?
SIT ने अदालत में दायर चार्जशीट में आरोप लगाया है कि गुट्टेदार और उनके सहयोगियों ने लगभग 5,994 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की कोशिश की थी। इस कांड में कथित तौर पर दस्तावेजों का दुरुपयोग और तकनीकी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर वोटर नामों को हटाने का प्रयास किया गया—जो चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता था।
🧑💼 आरोपियों की सूची:
चार्जशीट में कुल सात लोगों के नाम हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सुभाष गुट्टेदार – पूर्व भाजपा विधायक, आलंद
- हर्षानंद गुट्टेदार – उनके पुत्र
- टिपरुद्रा – व्यक्तिगत सचिव
- तीन डेटा सेंटर ऑपरेटर्स (कलबुर्गी से) — अकरम पाशा, मुक़ारम पाशा, मोहम्मद अशफ़ाक
- बापी अद्य (पश्चिम बंगाल) – कथित “OTP बायपास” की सेवा प्रदान करने वाला व्यक्ति
📌 आरोपों की गंभीरता:
SIT ने आरोप लगाया है कि मतदाता नाम हटाने के लिए OTP बायपास, फर्जी लॉग-इन और ऑनलाइन आवेदन जैसे तकनीकी तरीकों का उपयोग किया गया। पहली गिरफ्तारी बापी अद्य की हुई थी, जिसे बाद में न्यायालय ने जमानत दे दी। गुट्टेदार और उनके बेटे तथा एक अन्य सहयोगी को भी पूर्व गिरफ्तारी से रोक (anticipatory bail) मिल चुकी है।
📍 गुट्टेदार परिवार की प्रतिक्रिया:
सुभाष गुट्टेदार और उनके पुत्र ने आरोपों को राजनीतिक तौर पर प्रेरित और निराधार बताया है। दोनों का कहना है कि उन्हें झूठा फँसाया गया है और वे अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करेंगे।
📊 राजनीतिक प्रतिक्रिया:
कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने कहा है कि चार्जशीट में जो तथ्य सामने आए हैं वे वास्तविक और सटीक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस के विधायक इस मुद्दे को विधानसभा में उठाना चाहते हैं। इसी बीच दिल्ली में “वोट चोरी विरोधी” रैली भी आयोजित की जा रही है जिसमें कई नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।
📌 केस का पृष्ठभूमि:
यह मामला उस अभद्र व्यवहार की जांच में उभरा जिसमें कथित रूप से 2023 के चुनाव में मतदाता सूची के कुछ नामों को हटाने का प्रयास हुआ। यह मामला पहले से ही सुर्खियों में है, खासकर विपक्षी नेताओं द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद कि चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई थी.
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