सरगुजा ज़िले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम परसोडिकला में आज जो घटनाएँ सामने आईं, उन्होंने पूरे प्रदेश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। सरकारी खदान क्षेत्र में जारी उत्खनन के विरोध में जुटे स्थानीय ग्रामीणों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और आंसू गैस के प्रयोग की खबर ने विपक्ष को सरकार पर तीखा हमला करने का मौका दिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टी एस सिंह देव ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि “सरकार जिनकी प्रतिनिधि है, उन्हीं पर लाठियाँ बरसा रही है।” उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ को कुचलना अत्यंत शर्मनाक है, और परसोडिकला का आज का दृश्य लोकतंत्र के मूल मूल्य पर हमला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि एसईसीएल की सरकारी कोयला खदान में गुजरात की एक निजी कंपनी से उत्खनन कराया जा रहा है, जिससे स्थानीय समुदायों में गहरा रोष है। सिंह देव ने इसे तथाकथित “गुजरात मॉडल” का उदाहरण बताते हुए कहा कि देश इसकी मिसाल वाराणसी और अयोध्या में भी देख चुका है।
उनके अनुसार, स्थानीय लोगों के रोजगार, संसाधनों और अधिकारों को नजरअंदाज़ कर बाहरी कंपनियों को फायदा पहुँचाया जा रहा है, जो जनभावनाओं के खिलाफ है।
“अधिकार छीने जा रहे हैं” — छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने भी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज सदियों से जिस जंगल और जमीन की रक्षा करता आया है, उसे इतनी आसानी से किसी निजी कंपनी के हवाले नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा,“संविधान और कानून अनुसूचित क्षेत्रों के हित में बनाए गए हैं, लेकिन उन्हें लागू करने वाली सत्ता आज पूंजीपतियों की गुलाम दिखाई देती है।”
शुक्ला के अनुसार, अमेरा कोयला खदान विस्तार परियोजना के लिए चल रहे जमीन अधिग्रहण में ग्रामसभा की सहमति नहीं ली गई, जो कानून के खिलाफ है। यही कारण है कि स्थानीय लोग विरोध कर रहे थे, और उसी विरोध को दबाने के लिए पुलिस बल का प्रयोग किया गया।
पृष्ठभूमि
- कोयला खदान एसईसीएल (सरकारी कंपनी) की है,
- लेकिन संचालन और उत्खनन का काम गुजरात की एक निजी कंपनी को दिया गया है,
- स्थानीय ग्रामीणों ने रोजगार, पर्यावरण और अधिकारों के मुद्दों को लेकर तीव्र विरोध शुरू किया था,
- आज पुलिस बल और ग्रामीणों के बीच संघर्ष की स्थिति बनने पर माहौल तनावपूर्ण हो गया।
सरकार की चुप्पी जारी
घटना पर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
परंतु विपक्ष का कहना है कि पुलिस कार्रवाई सरकार की “जनविरोधी नीतियों” का परिणाम है और इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
परसोडिकला में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और स्थानीय लोगों के बीच प्रशासन के प्रति गहरा अविश्वास दिखाई दे रहा है।
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