संचार साथी (Sanchar Saathi) ऐप के अनिवार्य प्रीलोडिंग को लेकर केंद्र सरकार पर विपक्ष का हमला तेज हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को इसे “नागरिकों की आवाज़ पर अंकुश लगाने का एक और प्रयास” बताते हुए मोदी सरकार पर तानाशाही प्रवृत्ति अपनाने का आरोप लगाया।
खड़गे ने कहा कि बिना किसी व्यापक विचार-विमर्श, सहमति या पारदर्शिता के नागरिकों के मोबाइल उपकरणों में यह ऐप जबरन जोड़ने का निर्देश “लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन” है।
उन्होंने सवाल उठाया, “सरकार यह क्यों जानना चाहती है कि नागरिक अपने परिवार और मित्रों से क्या बात करते हैं?”
खड़गे के आरोप: ‘निजता पर हमले की लड़ी’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र सरकार ने नागरिकों की निजता को कमजोर किया है। उन्होंने तीन प्रमुख उदाहरण गिनाए—
- आयकर कानूनों में बदलाव: खड़गे के अनुसार, डिजिटल लेनदेन और व्यक्तिगत ऑनलाइन गतिविधियों को निर्बाध रूप से मॉनिटर करने की शक्तियों को बढ़ाकर सरकार ने आम नागरिक को “24×7 निगरानी क्षेत्र” में बदल दिया है।
- RTI पर प्रहार: DPDP Act 2023 के जरिए RTI Act की धारा 8(1)(j) में बदलाव कर पारदर्शिता को कमज़ोर किया गया, जिससे “कम सवाल, कम जवाबदेही और अधिक अंधकार” पैदा हुआ।
- पेगासस मामला: खड़गे ने कहा कि पेगासस स्पाइवेयर प्रकरण ने साबित किया कि विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायाधीशों और यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों तक की जासूसी की गई।
“BJP शासन की पहचान—स्नूपिंग और सर्विलांस”
खड़गे ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार “स्नूपिंग, सर्विलांस और डिजिटल नियंत्रण” के जरिए नागरिक अधिकारों को कमजोर कर लोकतांत्रिक ढाँचे को क्षति पहुंचा रही है।
उन्होंने दावा किया कि यह वही सरकार है जिसने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकों की निजता को ‘मौलिक अधिकार’ घोषित किए जाने का विरोध किया था।
“लोकतंत्र पर खतरा”
अपने बयान के अंत में खड़गे ने कहा,
“लोकतंत्र समाप्त होता जा रहा है और एक दमनकारी, डिस्टोपियन युग का विस्तार हो रहा है।”
संचार साथी (Sanchar Saathi) ऐप को लेकर जारी राजनीतिक घमासान के बीच केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया है कि यह ऐप पूरी तरह वैकल्पिक है और इसे किसी भी नागरिक पर थोपने का कोई इरादा नहीं है।
सिंधिया ने कहा,“यदि आप संचार साथी नहीं रखना चाहते, तो आप इसे डिलीट कर सकते हैं। यह पूरी तरह वैकल्पिक है। हमारा कर्तव्य है कि इस ऐप को सभी तक पहुँचाएँ, इसे रखना या न रखना नागरिक पर निर्भर है।”
