जेनरिक और ब्रांडेड दवाओं की गुणवत्ता की तुलना करने वाली यह राष्ट्रीय जनस्वास्थ्य पहल — ने मात्र 24 घंटे में ₹12,00,000 जुटा लिए। यह जनता की भारी रुचि और नागरिक समर्थित विज्ञान के प्रति भरोसे का बड़ा संकेत है।
यह परियोजना डॉ. एबी सिरियाक फिलिप्स द्वारा Mission for Ethics and Science in Healthcare (MESH) के तहत चलाई जा रही है और इसका उद्देश्य भारतीय बाज़ार में उपलब्ध दवाओं की प्रभावशीलता एवं गुणवत्ता पर स्वतंत्र और पारदर्शी वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध कराना है।
परियोजना की लागत और फंडिंग की स्थिति
- कुल परियोजना लागत: ₹27,93,000
- अब तक जुटाई गई राशि: ₹12,00,000
- फंडिंग मॉडल: पूरी तरह जनता द्वारा समर्थित, किसी भी दवा कंपनी से प्रायोजन नहीं
टीम अगले सप्ताह से लैब विश्लेषण शुरू करने की तैयारी में है और लक्ष्य राशि जल्द पूरे होने की उम्मीद कर रही है।
योगदान लिंक: pages.razorpay.com/GenericvsBrand…
यह परियोजना क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत को “दुनिया की फ़ार्मेसी” कहा जाता है और यह दुनिया के 20% जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करता है। इसके बावजूद, करोड़ों भारतीय एक बड़ी समस्या का सामना करते हैं:
- ब्रांडेड दवाएं महंगी और कई बार पहुंच से बाहर
- जेनरिक दवाएं सस्ती तो हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता पर जनता का भरोसा कम
यह परियोजना एक अहम सवाल का जवाब खोज रही है:
क्या सस्ती जेनरिक दवाएं महंगी ब्रांडेड दवाओं जितनी सुरक्षित और प्रभावी हैं?
कौन-कौन सी दवाएं जांची जाएंगी?
कुल 22 प्रकार की दवाएं, और 133 अलग-अलग नमूने—यानी वही दवाएं जो मरीज रोज़ाना बाजार से खरीदते हैं:
ब्रांडेड दवाएं, ब्रांडेड जेनेरिक, जन औषधि, ट्रेड एवं स्थानीय जेनरिक आदि।
श्रेणियां:
- एंटीबायोटिक: एज़िथ्रोमाइसीन, एमोक्सिसिलिन, रिफैक्सिमिन
- हृदय एवं BP: टेल्मिसार्टन, अम्लोडिपिन, क्लोपिडोग्रेल, एटोरवास्टेटिन, एस्पिरिन
- डायबिटीज / गाउट: मेटफॉर्मिन, फेबुक्सोस्टेट
- पाचन तंत्र: पैंटोप्रेज़ोल, ओमेप्रेज़ोल, रैनिटिडीन, यूडीसीए
- दर्द / सूजन: पैरासिटामोल, आइबुप्रोफेन, प्रेडनिसोलोन
- एलर्जी / श्वसन: मोंटेलुकास्ट, सेट्रीज़ीन
- थायरॉयड / सप्लीमेंट: थायरोक्सिन, फॉलिक एसिड, कैल्शियम + विटामिन D
कठोर लैब टेस्टिंग (FDA और NABL प्रमाणित लैबों में)
- वजन भिन्नता परीक्षण — हर टैबलेट में समान मात्रा?
- पहचान परीक्षण — दवा में दावा किया गया API मौजूद है?
- एस्से परीक्षण (Assay) — लेबल के अनुसार सही मात्रा?
- डिसॉल्यूशन — दवा शरीर में सही तरह रिलीज़ होती है?
- अशुद्धि प्रोफाइलिंग — क्या कोई हानिकारक कंटैमिनेंट मौजूद है?
बिना किसी हित-संघर्ष के सार्वजनिक स्वास्थ्य का प्रयास
इस परियोजना में किसी भी दवा कंपनी का फंड या प्रायोजन नहीं है।
अध्ययन के निष्कर्ष जनता के लिए ओपन एक्सेस में प्रकाशित किए जाएंगे।
नागरिकों से अपील
परियोजना टीम ने जनता से समर्थन जारी रखने और इसे परिवार, मित्रों तथा बड़े दानकर्ताओं तक पहुंचाने की अपील की है:
“भारत में इससे बड़ा और कोई सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रोजेक्ट इस समय नहीं है। कृपया हमें लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करें ताकि यह परियोजना सचमुच ज़मीन पर उतर सके।”
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अधिक पढ़ें: meshindia.org/citizens-gener…
जेनरिक बनाम ब्रांडेड दवाओं पर नागरिक-आधारित परियोजना ने 24 घंटे में जुटाए ₹12 लाख; जनता का जबरदस्त समर्थन
Citizens’ Generics vs Branded Drugs Project — जेनरिक और ब्रांडेड दवाओं की गुणवत्ता की तुलना करने वाली यह राष्ट्रीय जनस्वास्थ्य पहल — ने मात्र 24 घंटे में ₹12,00,000 जुटा लिए। यह जनता की भारी रुचि और नागरिक समर्थित विज्ञान के प्रति भरोसे का बड़ा संकेत है।
यह परियोजना डॉ. एबी सिरियाक फिलिप्स द्वारा Mission for Ethics and Science in Healthcare (MESH) के तहत चलाई जा रही है और इसका उद्देश्य भारतीय बाज़ार में उपलब्ध दवाओं की प्रभावशीलता एवं गुणवत्ता पर स्वतंत्र और पारदर्शी वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध कराना है।
परियोजना की लागत और फंडिंग की स्थिति
- कुल परियोजना लागत: ₹27,93,000
- अब तक जुटाई गई राशि: ₹12,00,000
- फंडिंग मॉडल: पूरी तरह जनता द्वारा समर्थित, किसी भी दवा कंपनी से प्रायोजन नहीं
टीम अगले सप्ताह से लैब विश्लेषण शुरू करने की तैयारी में है और लक्ष्य राशि जल्द पूरे होने की उम्मीद कर रही है।
योगदान लिंक: pages.razorpay.com/GenericvsBrand…
यह परियोजना क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत को “दुनिया की फ़ार्मेसी” कहा जाता है और यह दुनिया के 20% जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करता है। इसके बावजूद, करोड़ों भारतीय एक बड़ी समस्या का सामना करते हैं:
- ब्रांडेड दवाएं महंगी और कई बार पहुंच से बाहर
- जेनरिक दवाएं सस्ती तो हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता पर जनता का भरोसा कम
यह परियोजना एक अहम सवाल का जवाब खोज रही है:
क्या सस्ती जेनरिक दवाएं महंगी ब्रांडेड दवाओं जितनी सुरक्षित और प्रभावी हैं?
कौन-कौन सी दवाएं जांची जाएंगी?
कुल 22 प्रकार की दवाएं, और 133 अलग-अलग नमूने—यानी वही दवाएं जो मरीज रोज़ाना बाजार से खरीदते हैं:
ब्रांडेड दवाएं, ब्रांडेड जेनेरिक, जन औषधि, ट्रेड एवं स्थानीय जेनरिक आदि।
श्रेणियां:
- एंटीबायोटिक: एज़िथ्रोमाइसीन, एमोक्सिसिलिन, रिफैक्सिमिन
- हृदय एवं BP: टेल्मिसार्टन, अम्लोडिपिन, क्लोपिडोग्रेल, एटोरवास्टेटिन, एस्पिरिन
- डायबिटीज / गाउट: मेटफॉर्मिन, फेबुक्सोस्टेट
- पाचन तंत्र: पैंटोप्रेज़ोल, ओमेप्रेज़ोल, रैनिटिडीन, यूडीसीए
- दर्द / सूजन: पैरासिटामोल, आइबुप्रोफेन, प्रेडनिसोलोन
- एलर्जी / श्वसन: मोंटेलुकास्ट, सेट्रीज़ीन
- थायरॉयड / सप्लीमेंट: थायरोक्सिन, फॉलिक एसिड, कैल्शियम + विटामिन D
कठोर लैब टेस्टिंग (FDA और NABL प्रमाणित लैबों में)
- वजन भिन्नता परीक्षण — हर टैबलेट में समान मात्रा?
- पहचान परीक्षण — दवा में दावा किया गया API मौजूद है?
- एस्से परीक्षण (Assay) — लेबल के अनुसार सही मात्रा?
- डिसॉल्यूशन — दवा शरीर में सही तरह रिलीज़ होती है?
- अशुद्धि प्रोफाइलिंग — क्या कोई हानिकारक कंटैमिनेंट मौजूद है?
बिना किसी हित-संघर्ष के सार्वजनिक स्वास्थ्य का प्रयास
इस परियोजना में किसी भी दवा कंपनी का फंड या प्रायोजन नहीं है।
अध्ययन के निष्कर्ष जनता के लिए ओपन एक्सेस में प्रकाशित किए जाएंगे।
नागरिकों से अपील
परियोजना टीम ने जनता से समर्थन जारी रखने और इसे परिवार, मित्रों तथा बड़े दानकर्ताओं तक पहुंचाने की अपील की है:
“भारत में इससे बड़ा और कोई सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रोजेक्ट इस समय नहीं है। कृपया हमें लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करें ताकि यह परियोजना सचमुच ज़मीन पर उतर सके।”
योगदान करें: https://meshindia.org/citizens-generic-vs-branded-drugs-project/
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