सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण मामले में वित्त मंत्रालय, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) को नोटिस जारी किए। यह नोटिस मनीलाइफ की मैनेजिंग एडिटर और मनीलाइफ फाउंडेशन की संस्थापक-ट्रस्टी सुचेता दलाल की उस जनहित याचिका पर दिया गया है, जिसमें विभिन्न नियामकों के पास जमा अदावा (unclaimed) धन को केंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक करने की मांग की गई है ताकि वास्तविक कानूनी उत्तराधिकारी उसे प्राप्त कर सकें।
यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट के समक्ष रखी। जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर और जस्टिस जे.के. महेश्वरी की पीठ ने कहा कि मामला एक “महत्वपूर्ण प्रश्न” उठाता है। नोटिस आठ सप्ताह में प्रत्युत्तर योग्य है।
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका के अनुसार, बड़ी मात्रा में जनता का अदावा धन सरकारी फंडों में स्थानांतरित किया जाता है—जैसे:
- Depositor’s Education and Awareness Fund (DEAF)
- Investor Education and Protection Fund (IEPF)
- Senior Citizen’s Welfare Fund (SCWF)
लेकिन यह जानकारी सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध नहीं होती, जिससे कानूनी उत्तराधिकारियों को अपने दावों के बारे में पता नहीं चल पाता।
अदावा धन का पैमाना
- DEAF में मार्च 2021 तक ₹39,264.25 करोड़ जमा
(मार्च 2020 में ₹33,114 करोड़, मार्च 2019 में ₹18,381 करोड़) - IEPF में राशि 1999 के ₹400 करोड़ से बढ़कर
मार्च 2020 में ₹4,100 करोड़ - बीते पाँच वर्षों में बीमा कंपनियों ने ₹1,723.20 करोड़
SCWF में जमा किए
मुख्य मांगें
याचिका में आग्रह किया गया है कि—
- RBI के नियंत्रण में एक केंद्रीकृत ऑनलाइन डेटाबेस बनाया जाए
जिसमें मृत खाता-धारकों का नाम, पता, अंतिम लेनदेन की तारीख जैसे विवरण उपलब्ध हों। - सभी बैंक नियमित रूप से (हर 9–12 महीने) RBI को निष्क्रिय और डॉर्मेंट खातों की जानकारी दें।
- यह डेटाबेस कानूनी उत्तराधिकारियों को अपने दावों के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराए, जिससे लंबी और जटिल प्रक्रिया सरल हो सके।
याचिकाकर्ता की प्रतिक्रिया
सुचेता दलाल ने X पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“प्रशांत जी… यह तीन लंबे साल हो गए, लेकिन अंततः सरकार वही कर रही है जिसकी हमने मांग की थी। हमें श्रेय मिले या न मिले—महत्वपूर्ण यह है कि लोगों को सहायता मिले। लेकिन सवाल यह है, क्या यह सचमुच लागू होगा?”
उन्होंने वित्त मंत्रालय, DFS और RBI को टैग करते हुए यह भी लिखा कि इतना बड़ा कदम बिना सार्वजनिक चर्चा के कैसे उठाया जा रहा है।
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