फरार कारोबारी नितिन और चेतन संदेसरा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रस्तावित 570 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,750 करोड़) के सेटलमेंट पर सहमति जताने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

संदेसरा बंधु देश के $1.6 बिलियन (₹13,000 करोड़) के बैंक धोखाधड़ी मामले में लंबे समय से प्रमुख भगोड़ों की सूची में शामिल हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, शीर्ष अदालत ने संकेत दिया है कि यदि दोनों भाई अपनी कुल बकाया राशि का लगभग एक-तिहाई हिस्सा चुका देते हैं, तो उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमों को समाप्त किया जा सकता है।

इस संभावित राहत पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा: “भारत का सर्वोच्च न्यायालय फरार अरबपति भाइयों के लिए 570 मिलियन डॉलर के समझौते पर सहमत हो गया है। अगर वे अपने 1.6 बिलियन डॉलर के धोखाधड़ी के बकाये का एक-तिहाई हिस्सा दे देते हैं, तो उनके खिलाफ आपराधिक मामले हटा दिए जाएंगे। वाह! अमीर धोखेबाज़ों के लिए नया क़ानून तैयार हो गया।”

भूषण का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा का विषय बना, जहां कई उपयोगकर्ताओं ने न्यायिक प्रणाली द्वारा आर्थिक अपराधियों के प्रति दिखाई जा रही ‘नरमी’ पर सवाल उठाए।

संदेसरा बंधु और स्टर्लिंग बायोटेक समूह पर कई सरकारी एजेंसियों—CBI, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और SFIO—ने बड़े पैमाने पर बैंक लोन धोखाधड़ी, हवाला लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों भाई वर्षों से विदेश में छिपे हुए हैं और भारत आने से बचते रहे हैं।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह का सेटलमेंट अंतिम रूप लेता है, तो यह आर्थिक भगोड़ों के मामलों में मिसाल बन सकता है—जिसके व्यापक आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं।

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