प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में आज चार नए श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू किए जाने की घोषणा की है। यह कदम श्रम सुधारों में आजादी के बाद का सबसे व्यापक और प्रगति-परक सुधार माना जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- ये चार कोड हैं — Code on Wages (2019), Industrial Relations Code (2020), Code on Social Security (2020), और Occupational Safety, Health and Working Conditions (OSHWC) Code (2020)।
- इन कोड्स के लागू होने से 29 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर एक समेकित और आधुनिक कानूनी ढांचा तैयार किया गया है।
- मोदी ने ट्वीट (X पर पोस्ट) कर कहा:
“आज हमारी सरकार ने चार श्रम संहिताओं को लागू किया है। यह आज़ादी के बाद का सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम-उन्मुख सुधार है। यह हमारे श्रमिकों को बहुत शक्ति देता है। साथ ही, अनुपालन (compliance) को सरल बनाता है और ‘Ease of Doing Business’ को बढ़ावा देता है।” - प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नए कोड्स “सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर वेतन, सुरक्षित कार्यस्थल और सशक्त अवसरों” की मजबूत नींव बनाएंगे, खासकर नारी शक्ति और युवा शक्ति के लिए।
- मोदी ने यह भी कहा कि ये सुधार “रोज़गार सृजन को बढ़ावा देंगे, उत्पादकता को आगे बढ़ाएंगे और हमारे विकास-भारत की यात्रा को तेज करेंगे।”
प्रभाव और बदलाव:
- नए कोड्स के लागू होने से गिग वर्कर्स (जैसे ऐप-आधारित श्रमिक) को कानूनी मान्यता और सामाजिक सुरक्षा मिलेगी।
- सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र (appointment letters) देना अनिवार्य होगा।
- एक राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन (floor wage) व्यवस्था होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी श्रमिक सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम स्तर से कम वेतन न पाए।
- महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति मिलेगी, बशर्ते सुरक्षा के प्रावधान हों।
- चर सुरक्षितता (OSHC) कोड के जरिये कार्यस्थल की सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों को मजबूत कर दिया गया है।
- कोड्स के लागू होने से पंजीकरण और रिटर्न देने की प्रणाली आसान होगी — एकल पंजीकरण और एकल रिटर्न सिस्टम की व्यवस्था की गई है।
- निरीक्षकों की भूमिका बदलकर उन्हें “दंडात्मक” की बजाय “मार्गदर्शक (facilitator)” बनाया गया है।
- वरिष्ठ श्रमिकों (उदाहरण के लिए 40 साल से अधिक उम्र) को मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच का प्रावधान है।
- खतरनाक उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक, जैसे खान, निर्माण, बीड़ी आदि, अब एकीकृत सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएँगे।
सरकार का दृष्टिकोण:
केंद्र सरकार ने बताया है कि यह सुधार “भविष्य-तैयार (future-ready) श्रम शक्ति” और “मजबूत, लचीली उद्योग संरचना” बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कहा है कि ये कोड्स कार्य-जीवन (workforce) को आधुनिक मांगों के अनुरूप बनाएँगे और देश के आर्थिक विकास को गति देंगे।
आलोचनाएँ और चुनौतियाँ:
- ट्रेड यूनियनों की ओर से सख्त आलोचनाएँ भी हैं। कुछ संगठनों का कहना है कि ये कोड्स मजदूरों के मौलिक अधिकारों को कमजोर कर सकते हैं।
- अर्थशास्त्रियों का मानना है कि छोटे और अनौपचारिक (informal) उद्यमों को शुरुआत में चुनौती हो सकती है क्योंकि नए नियमों के साथ उन्हें अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ सकता है।
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