अमेरिका की अमेरिका–चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग द्वारा जारी 800 पृष्ठों की वार्षिक रिपोर्ट में किए गए कई दावों ने भारतीय कूटनीति में हलचल पैदा कर दी है। रिपोर्ट के पृष्ठ 108 और 109 में किए गए दो प्रमुख उल्लेख भारत सरकार के आधिकारिक रुख के बिल्कुल विपरीत हैं और उन्हें “भारत-विरोधी” माना जा रहा है।
रिपोर्ट के विवादित दावे
1. अप्रैल 2025 का पहलगाम आतंकवादी हमला
रिपोर्ट में इस हमले को “विद्रोही हमला” बताया गया है, जबकि भारत ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमला घोषित किया था।
2. भारत–पाकिस्तान के चार दिनों के युद्ध का विवरण
दस्तावेज़ में कहा गया है कि इस संघर्ष में “पाकिस्तान की सैन्य सफलता” हुई — एक दावा जिसे भारत ने हमेशा झूठा और भ्रामक बताया है।
ट्रंप के दावे और भारत की प्रतिक्रिया का अभाव
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत–पाकिस्तान युद्ध को रोकने का श्रेय स्वयं को दिया है।
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि ट्रंप अब तक 60 बार यह दावा दोहरा चुके हैं, लेकिन इस पर न तो भारत सरकार और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने आई है।
विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा
विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री की चुप्पी को “रहस्यमय” और “राष्ट्रहित के विपरीत” बताया है। उनके उठाए गए प्रमुख सवाल इस प्रकार हैं—
- भारत पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के बावजूद सरकार मौन क्यों है?
- अमेरिका–चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग को ऑपरेशन सिंदूर पर जानकारी कौन दे रहा है?
- प्रधानमंत्री के अनेक भाषणों, संसद में दिए गए सरकार के बयानों और संसदीय प्रतिनिधिमंडलों की विदेश यात्राओं के बावजूद ऐसी रिपोर्ट कैसे तैयार हुई?
- क्या यह भारत की विदेश नीति की बड़ी विफलता नहीं है?
कूटनीतिक गलियारों में चिंता
विदेश मंत्रालय ने अब तक न तो इस रिपोर्ट पर औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है और न ही कोई प्रतिवाद जारी किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी संवेदनशील रिपोर्ट पर भारत की चुप्पी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संदेश भेज सकती है, विशेषकर तब जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की प्रतिष्ठा से सीधे जुड़ा हो।
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