छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।
मामला क्या है?
चैतन्य बघेल ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं —
पहली, गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली और
दूसरी, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली।
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने ईडी को 10 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि यह केवल गिरफ्तारी की वैधता का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह भी देखा जाना चाहिए कि जांच कब तक चलेगी और आरोप तय होने में कितना समय लगेगा।
न्यायालय ने पूछा — “आप जांच पूरी करने में कितना समय लेंगे?”
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि जांच पूरी करने के लिए उन्हें तीन महीने का समय दिया गया है।
घोटाले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में चले कथित शराब घोटाले से जुड़ा है।
ईडी का आरोप है कि राज्य के शराब व्यापार और वितरण तंत्र में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं और इससे जुड़े लोगों ने लगभग ₹2,100 करोड़ तक की हेराफेरी की।
ईडी का यह भी दावा है कि चैतन्य बघेल ने इस घोटाले से उत्पन्न अवैध धन (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) में ₹1,000 करोड़ से अधिक की राशि का प्रबंधन किया।
पहले छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि प्रक्रिया में कुछ त्रुटियां हो सकती हैं, लेकिन गिरफ्तारी को पूर्ण रूप से गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता।
चैतन्य बघेल का पक्ष 
चैतन्य बघेल के पक्ष का कहना है कि उन्हें कोई समन जारी नहीं किया गया, ईडी ने बिना उचित प्रक्रिया अपनाए गिरफ्तारी की और उनके पास जवाब देने या सहयोग करने का उचित अवसर नहीं था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ईडी सिर्फ सहयोग न करने के आधार पर गिरफ्तारी कर रही है, जबकि उन्होंने कभी जांच से इंकार नहीं किया।
आगे क्या होगा
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को 10 दिनों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके बाद अदालत यह तय करेगी कि चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के आधार कितने वैध हैं और क्या पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती देने योग्य माना जाएगा।
इस सुनवाई का असर केवल इस मामले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भविष्य में धन शोधन कानून (पीएमएलए) के अंतर्गत की जाने वाली गिरफ्तारियों और जांच प्रक्रिया की वैधता को लेकर भी महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है क्योंकि चैतन्य बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र हैं।
कांग्रेस और भाजपा — दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
राज्य में लंबे समय से शराब नीति, उत्पाद कर प्रणाली और निजी ठेकेदारी को लेकर विवाद रहे हैं।
अगर इस मामले में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार सिद्ध होता है, तो इसका असर आने वाले राजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ सकता है।
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