कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार जनता की गाढ़ी कमाई को अपने “परम मित्र” गौतम अडानी को लाभ पहुंचाने में इस्तेमाल कर रही है।

खड़गे ने कहा कि “Direct Benefits Transfer (DBT) की असली लाभार्थी भारत की आम जनता नहीं, बल्कि मोदी जी के परम मित्र हैं। एक आम वेतनभोगी वर्ग, जो अपनी मेहनत की कमाई से LIC का प्रीमियम भरता है, उसे नहीं पता कि उसकी जमा पूंजी अडानी समूह को बचाने में लगाई जा रही है। यह जनता के विश्वास का उल्लंघन और खुली लूट है।”

उन्होंने सवाल उठाया कि —

🔹 मई 2025 में LIC द्वारा अडानी समूह की कंपनियों में ₹33,000 करोड़ निवेश योजना पर मोदी सरकार क्या जवाब देगी?

🔹 जब 2023 में अडानी समूह के शेयरों में 32% से ज्यादा गिरावट आई थी, तब LIC और SBI के ₹525 करोड़ अडानी के FPO (Follow-on Public Offer) में क्यों लगाए गए?

🔹 “क्या मोदी सरकार 30 करोड़ LIC पॉलिसीधारकों की गाढ़ी कमाई अपने मित्र की जेब में डाल रही है?”

LIC और अडानी समूह का जवाब

कांग्रेस के आरोपों के बीच भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने इन दावों को पूरी तरह खारिज किया है।

एक आधिकारिक बयान में LIC ने कहा कि —

“हमने किसी भी सरकारी निर्देश या हस्तक्षेप के बिना अपने निवेश निर्णय स्वतंत्र रूप से लिए हैं। सभी निवेश बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों और विस्तृत ‘द्यू डिलिजेंस’ (Due Diligence) प्रक्रिया के बाद किए जाते हैं।”

LIC ने स्पष्ट किया कि अडानी समूह में उसका निवेश उसकी कुल परिसंपत्तियों का केवल एक छोटा हिस्सा है और उसका पोर्टफोलियो विविध (diversified) है। संस्था ने अमेरिकी अख़बार Washington Post की उस रिपोर्ट को भी झूठा बताया, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने अडानी कंपनियों में $3.9 बिलियन (लगभग ₹33,000 करोड़) का निवेश करवाने की योजना बनाई है।

वहीं, अडानी समूह ने भी किसी सरकारी दबाव या विशेष पक्षपात से इंकार किया है।

कंपनी के प्रवक्ता ने कहा —

“हम पर यह आरोप निराधार है कि सरकार हमारे पक्ष में LIC को निवेश करवाने के निर्देश देती है। LIC और अन्य सार्वजनिक संस्थान विभिन्न कॉर्पोरेट समूहों में निवेश करते हैं — केवल अडानी समूह में नहीं।”

सरकार की चुप्पी जारी

इस पूरे विवाद पर अब तक वित्त मंत्रालय या सरकार की ओर से कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है।

कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करे कि LIC और SBI जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के निवेश में कोई राजनीतिक या व्यक्तिगत हित नहीं जुड़ा है।

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