अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। ट्रंप के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है — खासकर इसलिए क्योंकि इससे पहले भी वे कई बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रुकवाया था।
7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर “ऑपरेशन सिंदूर” नाम से सीमित सैन्य कार्रवाई शुरू की थी।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, यह अभियान आतंकवादी घुसपैठ रोकने के लिए “सर्जिकल-स्टाइल” ऑपरेशन था। लेकिन कुछ ही घंटों बाद कार्रवाई रोक दी गई — और उसी शाम ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर दावा किया कि उन्होंने “इसे रुकवाया”।
ट्रंप ने अगले कुछ महीनों में अलग-अलग देशों में हुए 51 भाषणों में यही कहा कि “मैंने भारत का युद्ध रुकवाया।”
हालांकि भारत सरकार ने कभी इस दावे पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी।
अब नया दावा — ‘भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा’
15 अक्टूबर को ट्रंप ने अमेरिकी मीडिया से कहा —
“I told Modi that India should not buy oil from Russia. He agreed with me and assured that India will stop buying Russian oil.”
(“मैंने मोदी से कहा कि भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए। उन्होंने मुझसे सहमति जताई और भरोसा दिया कि भारत ऐसा नहीं करेगा।”)
भारत सरकार की सफाई — ‘हम अपने उपभोक्ताओं के हित में निर्णय लेते हैं’
भारत सरकार ने इस पर कोई सीधा खंडन नहीं किया, लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा —
“भारत की ऊर्जा नीति उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनाए रखने के दोहरे उद्देश्य पर आधारित है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “भारत किसी भी बाहरी दबाव में निर्णय नहीं लेता।”
विपक्ष का हमला — ‘मोदी ट्रंप से डरते हैं’
कांग्रेस ने सरकार की “चुप्पी” को “कायरता” करार दिया है।
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“भारत सरकार जो भी निर्णय लेती है, उसकी घोषणा वाशिंगटन से होती है। अमेरिका के राष्ट्रपति बताते हैं कि भारत ने क्या निर्णय लिया है।
मोदी जी की ‘56 इंच की छाती’ कहां गई? आखिर मोदी सरकार ट्रंप से क्यों डरी हुई है?”
राहुल गांधी ने भी कहा कि मोदी “विदेशी नेताओं के दबाव में आकर राष्ट्रीय नीतियाँ तय नहीं कर सकते।”
वहीं, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी सवाल उठाया कि “क्या भारत की संप्रभुता ट्वीट्स से तय होगी?”
रूस की प्रतिक्रिया
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के साथ उसका तेल व्यापार “भारत की अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी” है और “कोई तीसरा देश इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।”
रूस ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग “पारस्परिक सम्मान और दीर्घकालिक विश्वास” पर आधारित
डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार किए जा रहे बयानों ने भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया राजनीतिक कोण जोड़ दिया है।
हालांकि “ऑपरेशन सिंदूर” और “रूसी तेल” दोनों ही मामलों में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर अमेरिकी दावों की न तो पुष्टि की है और न ही खंडन, लेकिन विपक्ष इसे मोदी सरकार की कमजोरी बताकर लगातार हमले कर रहा है।
आखिर आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी या विदेश मंत्रालय क्या कोई स्पष्ट जवाब देंगे — यह देखने वाली बात होगी।