कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार से तीखा सवाल पूछा है कि रूस — जो कभी भारत का सबसे भरोसेमंद रणनीतिक सहयोगी रहा है — उसने नई दिल्ली की अपीलों को नज़रअंदाज़ करते हुए पाकिस्तान के चीनी निर्मित जेएफ-17 लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत आरडी-93एमए इंजन की आपूर्ति करने का फैसला क्यों किया है।
रमेश ने कहा कि इस विमान का ब्लॉक-III संस्करण अब इस नए इंजन से लैस होगा और इसमें वही पीएल-15 मिसाइलें लगाई जाएंगी, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर भारत के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किया गया था।
भारतीय वायुसेना प्रमुख ने भी संकेत दिया है कि जेएफ-17 उन पाकिस्तानी विमानों में शामिल था जो भारत के खिलाफ इस अभियान में उपयोग किए गए।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह रक्षा सौदा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के जून 2025 में किए गए सीधे हस्तक्षेप के बावजूद आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा,
“सरकार को देश को यह बताना चाहिए कि आखिर क्यों एक लंबे समय से भरोसेमंद साझेदार रूस अब पाकिस्तान को सैन्य सहायता दे रहा है — जबकि भारत स्वयं उससे एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है और सु-57 स्टेल्थ फाइटर के लिए वार्ता कर रहा है।”
जयराम रमेश ने इस पूरे घटनाक्रम को प्रधानमंत्री मोदी की “व्यक्तिगत और दिखावटी कूटनीति” की एक और असफलता बताया। उनके अनुसार,
“प्रधानमंत्री की कूटनीति में राष्ट्रीय हितों से ज़्यादा व्यक्तिगत छवि-निर्माण और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिखावा प्राथमिकता बन गया है। वर्षों से हुए तमाम बड़े सम्मेलनों, मंच पर गले मिलने के नाटकीय दृश्यों और भव्य आयोजनों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।”
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि भारत अब तक पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग नहीं कर पाया है। इसके विपरीत,
“पाकिस्तान का नेतृत्व — जिसमें उसकी सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर शामिल हैं, जिनके साम्प्रदायिक रूप से भड़काऊ बयानों के तुरंत बाद पहलगाम आतंकी हमला हुआ — आज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से गर्मजोशी से मिल रहा है, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हथियार पा रहा है, और चीन से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुला समर्थन हासिल कर रहा है।”