सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि हाल ही में पेश हुई CAG रिपोर्टों में सामने आए भारी वित्तीय अनियमितताओं के बावजूद कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। उनका कहना है कि “हर साल करोड़ों रुपये सड़क और अवसंरचना परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के कारण गायब हो जाते हैं — लेकिन CAG रिपोर्टों का क्या होता है? आखिर किसे जवाबदेह ठहराया जाता है?”

CAG की मुख्य रिपोर्टिंग और खुलासे

  1. PM ग्राम सड़क योजना में 415 करोड़ के फर्जी बिल
    मध्य प्रदेश के PMGSY (प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना) ऑडिट में CAG ने पाया कि ₹ 414.94 करोड़ की “संभावित धोखाधड़ी” पाई गई। 
    ऑडिट में 9,903 इनवॉइसों (बिलों) की जाँच हुई, जिनमें से 3,389 बिल (₹ 320.75 करोड़) नकली पाये गए। 
    इन बिलों में बिल जारीकर्ता की जानकारी नकली थी, एक ही बिल कई परियोजनाओं में इस्तेमाल किया गया, तारीखें बदली गईं आदि। 
    इसके बावजूद, विभाग ने दोषियों के खिलाफ सुरक्षा राशि (Performance Security) जब्त नहीं की, न ही अनुबंध रद्द किए गए।  
  2. NHAI में 445 करोड़ का अवसूली न होना
    CAG के “Maintenance of National Highways” ऑडिट में यह पाया गया है कि NHAI ने टोल कॉनसेशन (BOT / Toll Concession) वाले मार्गों में “ऑवरले (overlay)” कार्य समय पर नहीं कराने के कारण ₹ 445.11 करोड़ वसूल नहीं किये। 
    यानी NHAI को वह राशि वसूल करनी थी जो अधिग्रहण, देरी और रख-रखाव के लिए तय थी, लेकिन इसे नहीं किया गया।  
  3. एनएचएआई को 203 करोड़ का अनावश्यक लाभ
    महाराष्ट्र की एक CAG रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि NHAI ने अनुबंध की शर्तों को मॉडिफाई कर, दंड (damages) वसूली में नरमी दिखाकर ठेकेदारों को लाभ प्रदान किया, जिससे घाटा ₹ 203.07 करोड़ हुआ। 
    उदाहरण के लिए, अनुबंधों में वसूली के दंड ₹ 252.31 करोड़ थे, लेकिन NHAI ने सिर्फ ₹ 49.24 करोड़ वसूले।  

सवाल — CAG रिपोर्टों का क्या होता है?

  • प्रकाशन के बाद क्या कार्रवाई होती है?
    CAG रिपोर्ट संसद / विधानसभाओं में प्रस्तुत होती हैं और संबंधित विभागों, मंत्रालयों को निर्देश दी जाती है कि वे सुधारात्मक कदम उठाएँ। लेकिन रिपोर्ट कहती है “उपयुक्त कार्रवाई अपेक्षित है” — यह रिपोर्ट की सीमित भूमिका है।  
  • नियमित कार्रवाई का अभाव
    अनेक मामलों में दोष सिद्ध न होने, जांचों की धीमी गति या निष्क्रियता के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
    जैसे PMGSY मामले में, अधिकारियों ने दोषी ठेकेदारों की सुरक्षा राशि जब्त नहीं की और अनुबंधों को रद्द नहीं किया।  
  • अनुबंधों में छूट / मॉडिफिकेशन
    NHAI ने अनुबंधों की मूल शर्तों को बाद में बदलने की कई घटनाओं को अंजाना कर दिया, जिससे दंड वसूली कम हुई।  
  • सत्ता और राजनीतिक बाधाएँ
    भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई अक्सर राजनीतिक दबाव, चालाकी और अभियोजन की जटिलता से प्रभावित होती है।
    अंजलि भारद्वाज जैसे सामाजिक कार्यकर्ता यह सवाल उठाती हैं कि कागज़ों में रिपोर्ट तो होती है, लेकिन “सीएम, मंत्री, अधिकारी कौन जवाब देगा?” — इसका जवाब दुर्लभ है।

अंजलि भारद्वाज का आक्रोश और मांगें

अंजलि भारद्वाज ने कहा है:

“ये रिपोर्ट्स सिर्फ ‘खुलासों’ का संग्रह बनकर रह जाती हैं। सरकारों में किसे सजा मिली? कौन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया गया?”

उन्होंने जोर देकर कहा कि:

  1. CAG रिपोर्ट की अनुशंसाओं पर समयबद्ध कार्रवाई हो।
  2. दोषियों को सार्वजनिक रूप से दोषी ठहराया जाए और मुकदमा चलाया जाए।
  3. सार्वजनिक धन की रक्षा के लिए निगरानी-निर्देश और जवाबदेही प्रणाली को मजबूत किया जाए।

CAG रिपोर्टों में ऐसे कई मामलों का खुलासा किया जाता है जहां करोड़ों रुपये की अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार होते हैं। लेकिन रिपोर्ट के बाद का सफर — कार्रवाई, दोषी ठहराना और धन वसूली — अक्सर अधूरा रह जाता है।

अंजलि भारद्वाज जैसे कार्यकर्ताओं का तर्क है कि भ्रष्टाचार की लड़ाई सिर्फ जांच और रिपोर्टिंग से नहीं पूरी होती — एंटी करप्शन तंत्र को सक्रिय, पारदर्शी और जवाबदेह बनाना होगा।

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