दिल्ली पुलिस ने आगरा (उत्तर प्रदेश) के एक होटल से स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को गिरफ्तार किया है, उन पर कम-से-कम 17 महिला छात्रों के खिलाफ यौन होश्लिंग (sexual harassment / दुराचार) के गंभीर आरोप हैं।
यह मामला विशेष रूप से खटकने वाला है क्योंकि कथित पीड़ितों में अधिकांश छात्राएँ EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी में थीं, जो छात्रवृत्ति और विशेष सुविधा प्राप्त कर रही थीं।
आरोपों की झड़ी
- छात्राओं ने आरोप लगाया है कि स्वामी चैतन्यानंद ने उन्हें अनचाहे शारीरिक संपर्क, अश्लील संदेश, व्यभिचारी भाषा का प्रयोग और धमकी देने जैसे व्यवहारों का शिकार बनाया।
- एक एफआईआर में बताया गया है कि उन्होंने छात्राओं से ऐसे व्यक्तिगत प्रश्न किए जैसे “क्या आपने कंडोम का इस्तेमाल किया?”, “क्या आप प्रेमी से संबंध रखती हैं?” आदि।
- छात्रावास में कथित रूप से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे — दोषियों का कहना है कि उन कैमरों के माध्यम से छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी।
- धमकी, मनोवैज्ञानिक दबाव, दस्तावेज वापसी रोकना, अंक कम करना या उपस्थिति रिकॉर्ड में गड़बड़ी करना — ये अन्य आरोप भी सामने आए हैं।
- वित्तीय धोखाधड़ी और दस्तावेज फर्जीवाड़े के आरोप भी इस मामले में जोड़े गए हैं। पुलिस ने जांच के दौरान ऐसे फर्जी विजिटिंग कार्ड बरामद किए जिनमें ये दावा किया गया था कि स्वामी जी यूएन (UN) और BRICS से जुड़े हैं।
- प्राथमिकी के बाद उन्होंने कुछ बैंक खातों से 50 लाख रूपए से अधिक निकासी की — यह संभवतः उनकी भागने की योजना से जुड़ा कदम माना जा रहा है।
गिरफ्तारी विवरण
- स्वामी चैतन्यानंद (लगभग 62 वर्ष) 4 अगस्त 2025 को शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद फरार हो गए थे।
- दिल्ली पुलिस को सूचना मिली कि वे आगरा के ताजगंज इलाके के एक होटल में हैं। लगभग 3:30 बजे उन्हें गिरफ्तार किया गया।
- गिरफ्तारी के समय उनके पास फर्जी विजिटिंग कार्ड और अन्य संदिग्ध दस्तावेज पाए गए।
- अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है, यह देखते हुए कि मामले की गहन जांच आवश्यक है।
जांच एवं आगे की कार्रवाई
पुलिस ने मामला गंभीर मानते हुए कई एफआईआर दर्ज की हैं और जांच की दिशा विस्तृत कर दी है। संस्था (शिक्षण या आश्रम से जुड़ी) ने तुरंत चैतन्यानंद से अपने संबंध काट दिए हैं। आरोपी व उनके समर्थकों द्वारा सबूत मिटाने या दबाव डालने की भी कोशिशों की आशंका जताई जा रही है।
मीडिया ने बताया है कि यह कोई अलग मामला नहीं बल्कि स्वामी चैतन्यानंद के खिलाफ पहले से दर्ज एफआईआर की लंबी पृष्ठभूमि है, जिसमें फर्जी यूएन प्रमाणपत्र, छद्म राजनयिक नंबर प्लेट आदि शामिल हैं।
सामाजिक व नैतिक प्रश्न
यह मामला न केवल छात्रों की रक्षा और न्याय की मांग का प्रतीक बन गया है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि कैसे शिक्षा-संस्थाएँ एवं धार्मिक/आध्यात्मिक संस्थाएँ अपने कर्मचारियों / संचालकों की जवाबदेही सुनिश्चित करें। विशेष रूप से जब पीड़ितों में EWS वर्ग की छात्राएँ हों, उनकी सुरक्षा, पहचान की गोपनीयता और मनोवैज्ञानिक समर्थन की व्यवस्था अनिवार्य हो जाती है।