जलवायु कार्यकर्ता और लद्दाख में राज्य का दर्जा तथा संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक सोनम वांगचुक को शुक्रवार दोपहर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों के मुताबिक़, लद्दाख पुलिस महानिदेशक एस.डी. सिंह जमवाल के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने वांगचुक को दोपहर 2:30 बजे हिरासत में लिया।

अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि उन पर कौन से धाराएँ लगाई गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल की हिंसा के लिए वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय का कहना है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को भड़काया, जिसके चलते हिंसा हुई।

हिंसा और हताहत

दो दिन पहले हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल हुए थे।

  • मृतकों में तीन युवा (25 वर्ष से कम आयु) और एक पूर्व सैनिक शामिल थे।
  • जिनकी पहचान त्सेवांग थारचिन (46, सेवानिवृत्त सैनिक, लद्दाख स्काउट्स), जिग्मेत दोरजे (25), स्तांजिन नामग्याल (23) और रिनचेन ददुल (20) के रूप में हुई है।

सूत्रों के मुताबिक, मौतें गोलियों से हुई हैं, जो पुलिस की अंधाधुंध फायरिंग की ओर इशारा करती हैं। कई लोग पैलेट गन से भी घायल हुए। अब तक 42 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

वांगचुक का रुख

सोनम वांगचुक, जो भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे थे, ने हिंसा की निंदा की और बुधवार को पंद्रह दिन से चल रही अपनी अनशन को समाप्त कर दिया था। गिरफ्तारी से पहले उन्होंने कहा था कि उन्हें किसी भी गिरफ्तारी से डर नहीं है और वे अपने गांव में मौजूद हैं।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

इस बीच भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एक तस्वीर साझा करते हुए दावा किया कि वह कांग्रेस पार्षद की है, लेकिन वांगचुक ने इसे गलत करार दिया।

इसी बीच कांग्रेस काउंसलर फुंतसोग स्तांजिन त्सेपग ने भी बयान जारी कर कहा:

“कुछ लोग कह रहे हैं कि मैं लद्दाख हिंसा में शामिल था, यह बिल्कुल गलत है। उस वीडियो में दिख रहा व्यक्ति मैं नहीं हूं। ग़लत आरोप लगाने वालों के ख़िलाफ़ मैं मानहानि का मुकदमा करूंगा।”

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाथ ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि अब तक का सबसे नाकाम गृह मंत्री हमारे पास है — अमित शाह। मणिपुर दो साल से जल रहा है, मिजोरम-असम में गोलियाँ चलीं, दिल्ली में दंगे हुए, पहलगाम में आतंकी हमला हुआ और अब लद्दाख में हिंसा फैली।

गृह मंत्री का काम सुरक्षा और व्यवस्था है — हालात साफ़ बताते हैं कि वे इसमें नाकाम रहे हैं। रैलियाँ, भाषण और एजेंसियों का दुरुपयोग करना उनकी खासियत बन गई है; देश इसका ख़ामियाज़ा भुगत रहा है।

अगली बैठक

गृह मंत्रालय और लद्दाख के नेताओं के बीच प्रारंभिक बैठक 27–28 सितंबर को दिल्ली में होने वाली है, ताकि हालात पर चर्चा की जा सके।

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