सुप्रीम कोर्ट  ने शुक्रवार को उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग पर ₹2,00,000 का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई आयोग द्वारा पंचायत चुनावों में उन उम्मीदवारों के नॉमिनेशन रद्द न करने पर हुई, जिनके नाम दो या अधिक वोटर लिस्टों में शामिल थे।

दरअसल, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने साफ़ आदेश दिया था कि Uttarakhand Panchayati Raj Act, 2016 की धारा 9(6) और 9(7) के मुताबिक़ ऐसे उम्मीदवारों का नॉमिनेशन रद्द होना चाहिए। लेकिन चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट का निर्देश मानने से इनकार कर दिया।

भाजपा पर आरोप

कांग्रेस ने इस मामले में भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

  • जनवरी में हुए शहरी निकाय चुनाव में भाजपा नेताओं ने गांव से शहर की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाए, ताकि फ़र्ज़ी वोटिंग कराई जा सके।
  • चुनाव ख़त्म होने के बाद, उन्हीं लोगों के नाम दोबारा गांव की वोटर लिस्ट में डलवाने की कोशिश की गई, ताकि पंचायत चुनाव में भी फ़ायदा मिल सके।
  • कांग्रेस के विरोध के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद भाजपा नेताओं ने दूसरी जगह नया नाम जुड़वाकर दोहरी वोटर आईडी बनवा ली।

जब भाजपा के ऐसे लोगों को टिकट मिला, तब उनके नॉमिनेशन को चुनौती दी गई। मामला हाई कोर्ट पहुँचा और हाई कोर्ट ने आयोग को नॉमिनेशन रद्द करने का निर्देश दिया। लेकिन आयोग ने कार्रवाई नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने आज आयोग के रवैये को गंभीर लापरवाही मानते हुए ₹2 लाख का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

कांग्रेस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से किस तरह “चुनाव चोरी” की जा रही है, यह अब साफ़ है।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!