लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आज दिल्ली में आयोजित विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) और मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं, जिसका प्रभाव खासकर कांग्रेस प्रबल क्षेत्रों में पड़ा है। उन्होंने कहा कि ये सभी कार्रवाइयाँ केंद्रित और संसाधित सॉफ्टवेयर व बाहरी नंबरों / OTP इस्तेमाल से हो रही हैं। 

मुख्य दावे और बिंदु:

  1. CID द्वारा भेजे गए 18 पत्र
    राहुल गांधी ने कहा कि पिछले 18 महीनों में कर्नाटक CID ने चुनाव आयोग को कुल 18 पत्र भेजे हैं, जिनमें पूछा गया है कि IP एड्रैस कहाँ से आ रहे हैं, कौन से OTP ट्रेल हैं, कि deletion forms या आवेदन कहां से भरे जा रहे हैं। 
    लेकिन ECI ने इन जानकारियों का उत्तर नहीं दिया है। राहुल गांधी का दावा है कि यदि ये जानकारी मिल जाए तो पता चल जाएगा कि यह ‘सेंट्रलाइज़्ड ऑपरेशन’ कहाँ से हो रहा है।  
  2. आलेख “Aland विधानसभा क्षेत्र” का उदाहरण
    उन्होंने कर्नाटक की आलंद (Aland) विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ लगभग 6,018 वोटरों के नाम हटाने का प्रयास हुआ था। यह दावा है कि आवेदन फर्जी तरीके से हुए — कहीं मोबाइल नंबर बाहर के राज्यों के इस्तेमाल हुए, और सॉफ्टवेयर आधारित ऑपरेशन हुआ।  
  3. वोट डालने‐बढ़ाने (vote addition) और निर्वाचन क्षेत्रों में हेरफेर के आरोप
    महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वोट जोड़ने की भी शिकायत की गई — कि कुछ स्थानों पर सॉफ़्टवेयर या बाहरी लॉग-इन से फर्जी आवेदन किए गए।  
  4. “हाइड्रोजन बम” की चेतावनी
    राहुल गांधी ने कहा कि ये revelations अभी हाइड्रोजन बम नहीं हैं जो उन्होंने पहले वादा किया था — लेकिन आने वाला है। जिसका मतलब है कि आरोपों को आगे विस्तारित किया जाएगा, और और दस्तावेज दिखाए जाएंगे।  

ECI की प्रतिक्रिया:

  • चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को “गलत और आधार-रहित (incorrect and baseless)” करार दिया है।  
  • आयोग का कहना है कि कोई भी वोटर नाम ऑनलाइन डिलीट नहीं किया जा सकता है बिना उस व्यक्ति को सुनने का अवसर दिए।  
  • आलंद सीट में 2023 में कुछ deletion के प्रयास हुए थे, लेकिन उन पर कार्रवाई हुई थी और एक FIR भी दर्ज की गई थी।  

राजनीतिक / कानूनी असर:

  • राहुल गांधी ने ECI से एक सप्ताह की समय सीमा दी है कि वो वोटर डिलीशन फार्म, OTP ट्रेल, IP एड्रैस आदि के डेटा को सार्वजनिक करें।  
  • विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और कहा जा रहा है कि यदि ECI जवाब नहीं देता है, तो न्यायालयीन कार्रवाई संभव है।  
  • आम जनता और विशेष रूप से चुनाव प्रभावित क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच इस घटना ने विश्वास की कमी की आशंका जगाई है ।

गांधी के आरोपों ने चुनाव आयोग व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या लोकतंत्र और निर्वाचन प्रक्रिया में त्रुटियाँ हो रही हैं, और क्या वोटर सूची से गैर-कानूनी व भेदभावपूर्ण तरीके से नाम हटाए जा रहे हैं। ECI द्वारा इन आरोपों की सच्चाई और CID द्वारा मांगी गई जानकारियों की उपलब्धता तय करेगी कि अगला राजनीतिक व कानूनी कदम क्या होगा।

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