कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के धिरौली क्षेत्र में अडानी समूह (जिन्हें उन्होंने व्यंग्य में “मोदानी” कहा) ने अपनी कोयला खदान परियोजना के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी और वनभूमि पर पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है। यह कदम बिना स्टेज-II फॉरेस्ट क्लियरेंस के उठाया गया है और वनाधिकार अधिनियम (FRA), 2006 तथा पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996 का गंभीर उल्लंघन माना जा रहा है।
रमेश ने कहा कि यह क्षेत्र पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है, जहाँ संविधान आदिवासी समुदायों को विशेष अधिकार और स्वशासन की गारंटी देता है। बावजूद इसके, ग्राम सभा से कोई परामर्श नहीं किया गया। सर्वोच्च न्यायालय के अनेक निर्णयों में भी ग्राम सभा की सहमति को अनिवार्य बताया गया है, लेकिन परियोजना में इस प्रक्रिया की खुली अवहेलना की जा रही है।
स्थानीय ग्रामीणों, जिनमें अनुसूचित जनजाति और विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूह (PVTG) शामिल हैं, ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि वनों की कटाई से न केवल उनकी आजीविका छिन जाएगी, बल्कि उनकी आस्था और संस्कृति भी गहरी चोट खाएगी। महुआ, तेंदू पत्ता, औषधियाँ और ईंधन लकड़ी जैसी वन उपज खत्म हो जाएगी।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से लगभग 3,500 एकड़ प्रमुख वनभूमि के डायवर्ज़न के लिए अभी तक स्टेज-II अनुमति नहीं मिली है। इसके बावजूद कथित तौर पर खदान क्षेत्र में जंगल काटे जा रहे हैं। रमेश ने इसे “दोहरा विस्थापन” बताते हुए कहा कि पहले ही कई परिवार परियोजनाओं की वजह से उजड़े हैं और अब उन्हें फिर से बेदखली का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि 2019 में यह कोयला ब्लॉक ऊपर से थोप दिया गया था और अब 2025 में बिना आवश्यक कानूनी मंजूरी के इसे तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि क्षतिपूरक वनीकरण (Compensatory Afforestation) कभी भी वास्तविक वनों का विकल्प नहीं हो सकता। वनों की कटाई से न केवल पर्यावरणीय असंतुलन गहराएगा, बल्कि आदिवासी समाज की पीढ़ियों से जुड़ी आजीविका और सांस्कृतिक विरासत भी खतरे में पड़ जाएगी।
अब ग्रामीण संगठित होकर ग्राम सभाओं और विरोध प्रदर्शनों के ज़रिये अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार और कंपनियाँ मिलकर संविधान सम्मत प्रावधानों और पर्यावरणीय नियमों को दरकिनार कर रही हैं।