कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में कथित मतदाता सूची हेरफेर और वोटर डिलीशन की जांच एक बार फिर विवादों में घिर गई है। राज्य की सीआईडी (CID) द्वारा मांगे गए अहम दस्तावेज चुनाव आयोग (ECI) ने उपलब्ध नहीं कराए हैं, जिससे जांच की रफ्तार थम गई है।

कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह रवैया लोकतंत्र के खिलाफ है। कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा, “कर्नाटक सीआईडी की जांच में चुनाव आयोग का अहम दस्तावेज रोकना इस बात का सबूत है कि वह बड़े पैमाने पर वोटिंग में हुई गड़बड़ी को छिपाने की कोशिश कर रहा है। इससे साफ है कि चुनाव आयोग और बीजेपी मिलकर लोकतंत्र की खुली लूट को अंजाम दे रहे हैं।”

कर्नाटक सरकार का कहना है कि अब तक की जांच चुनाव आयोग के ही दस्तावेजों पर आधारित रही है, लेकिन जब और जानकारी मांगी गई तो उसे रोक दिया गया। अधिकारियों का मानना है कि आयोग का यह कदम उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी के खिलाफ है, क्योंकि चुनाव आयोग का मूल दायित्व स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के दबाव में काम करने का भी आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही आयोग को जानकारी छिपाने के लिए फटकार लगा चुका है, तब भी पारदर्शिता से बचने का कोई औचित्य नहीं है।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से तीन सीधे सवाल किए हैं:

  • विपक्ष की पारदर्शिता की मांगों पर आयोग चुप क्यों है?
  • बीजेपी के किस दबाव में आयोग यह टकरावपूर्ण रुख अपना रहा है?
  • सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बावजूद आयोग जानकारी साझा करने से क्यों कतरा रहा है?

जांच में आई इस रुकावट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग के बीच टकराव को और गहरा कर दिया है। अब देखना होगा कि आयोग इन आरोपों पर क्या जवाब देता है और आगे की कार्रवाई किस दिशा में बढ़ती है।

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