29 अगस्त 2025 को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया और ₹88 प्रति डॉलर की सीमा पार कर गया। यह पहली बार है जब रुपया इस स्तर तक गिरा है।

अमेरिका द्वारा भारत पर हाल ही में लगाए गए 50% टैरिफ के असर से निर्यात क्षेत्र पर भारी दबाव पड़ा है और इसका सीधा असर मुद्रा पर दिख रहा है। कारोबार के दौरान रुपया ₹88.19 तक फिसला और RBI के हस्तक्षेप के बाद ₹88.12 पर स्थिर हुआ।

📉 असर

  • रुपया 2025 में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन चुका है, अब तक 3% से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
  • टैरिफ का असर खासतौर पर टेक्सटाइल, गारमेंट्स, रत्न-गहने, श्रिम्प और मशीनरी पर है।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस साल अब तक $9.7 अरब की बिकवाली की है।
  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि GDP वृद्धि दर पर इसका असर पड़ेगा और रोजगार पर संकट गहराएगा।

🟥 विपक्ष का हमला

रुपये की रिकॉर्ड गिरावट पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी आर्थिक नीतियों पर सीधा निशाना साधा है।

कांग्रेस ने कहा कि:

“अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर सरकार पूरी तरह विफल रही है। ‘नमस्ते ट्रंप’ और ‘हाउडी मोदी’ जैसे कार्यक्रमों के बावजूद भारत सबसे ज्यादा टैरिफ झेल रहा है। अब इसका खामियाजा आम जनता और उद्योग दोनों को भुगतना पड़ रहा है।”

वाम दलों ने आरोप लगाया कि सरकार सस्ता रूसी तेल खरीदने के बावजूद उसके लाभ आम जनता तक नहीं पहुँचा पाई, और अब जनता को रुपये की गिरावट और महंगाई का बोझ उठाना पड़ रहा है।

ट्रिनमूल कांग्रेस और आप नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ‘स्वदेशी’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नारों के पीछे अपनी नाकामियों को छिपा रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि आयात बढ़े हैं, निर्यात कमजोर हुए हैं और रुपये की हालत इतिहास में सबसे खराब है।

🟥 मनमोहन सिंह का ज़िक्र

कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके पुराने बयानों की याद भी दिलाई।

“जब रुपया ₹60 के पार गया था तब नरेंद्र मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह का मज़ाक उड़ाया था, उन्हें नामों से पुकारा था और कहा था कि प्रधानमंत्री चुप रहते हैं इसलिए रुपया गिर रहा है। आज रुपया ₹88 के पार है—क्या मोदी जी जवाब देंगे? क्या अब वे खुद को ज़िम्मेदार मानेंगे?”

पार्टी प्रवक्ता ने भी तंज कसते हुए कहा कि “जिन्होंने कभी मनमोहन सिंह को ‘मौनमोहन’ कहकर चुटकी ली थी, अब उनकी अपनी नीतियों ने देश को मौन कर दिया है।”

डॉलर के मुकाबले रुपया ₹88 पार कर गया है—यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी है बल्कि सरकार की साख और प्रधानमंत्री की आर्थिक कूटनीति पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। विपक्ष अब मोदी को उनके ही पुराने बयानों की याद दिलाकर जवाबदेही मांग रहा है।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!