सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर स्थित रिलीएंस फाउंडेशन संचालित ‘वनतारा’ वाइल्डलाइफ रेस्क्यू सेंटर की जांच के लिए एक Special Investigation Team (SIT) गठित की है। यह सेंटर अनंत अंबानी द्वारा स्थापित है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2025 में उद्घाटित किया था ।
SIT का गठन: मकसद और सदस्य
- न्यायमूर्ति जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर (पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश) की अध्यक्षता में इस चार सदस्यीय SIT में शामिल हैं:
- न्यायमूर्ति राघवेंद्र चौहान (पूर्व उत्तराखंड व तेलंगाना HC के चीफ जस्टिस),
- पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागरले,
- और अतिरिक्त कस्टम्स आयुक्त अनिश गुप्ता ।
- यह टीम ऍक्ट–एक्ट जांच हेतु गठित की गई है, न कि किसी पक्ष या संस्थान पर आरोप लगाने के लिए ।
जांच का दायरा (SIT के निर्देश)
SIT को जिन मुख्य पहलुओं की जांच का निर्देश दिया गया है वे हैं:
- जानवरों का अधिग्रहण — विशेषकर हाथियों समेत भारत और विदेशों से उनका लाने का तरीका।
- कानूनी अनुपालन — Wildlife (Protection) Act, 1972, CITES, और अन्य ज़ू/पालन संबंधी नियमों का पालन।
- पशु कल्याण और चिकित्सा देखभाल — स्वास्थ्य सुविधाओं, मृत्यु दर कारणों, वेटरनरी स्टैंडर्ड्स।
- संभावित गलत उपयोग — क्या यह केंद्र निजी प्रदर्शन या “वैनिटी प्रोजेक्ट” बन गया है।
- वित्तीय पारदर्शिता — जल क्रेडिट, कार्बन क्रेडिट, धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) संबंधी आरोप भी शामिल ।
- कोर्ट ने कहा है कि यह सिर्फ तथ्यों की स्थिति स्पष्ट करने हेतु जरूरी है क्योंकि कुछ शिकायतों में संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम है ।
रिपोर्ट की समय सीमा
- SIT को अपना रिपोर्ट 12 सितंबर, 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
- इसके बाद अगले सुनवाई की तारीख तय की जाएगी — प्रारंभिक रूप से 15 सितंबर नियत है ।
‘वनतारा’ की प्रतिक्रिया
वहीँ, वनतारा ने न्यायालय के आदेश का पूरे सम्मान के साथ पालन करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वे पूर्ण पारदर्शिता, संवेदनशीलता और कानूनी अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध हैं और जांच में सहयोग करेंगे। साथ ही, उन्होंने कहा:
“हम यह प्रक्रिया बिना अटकलों और ‘स्पेकुलेशन’ के, पशुओं के हितों को देखते हुए तटस्थता से आगे बढ़ने की दुआ करते हैं।”
बैकग्राउंड: क्या है विवाद की तह?
- वनतारा फरवरी 2024 में शुरू हुआ था और 4 मार्च 2025 को PM मोदी ने इसका उद्घाटन किया ।
- इसमें 150,000 से अधिक जानवर शामिल हैं, जिनमें हजारों हाथी, बड़े जीव-जंतु, पक्षी और प्राचीन प्रजातियाँ शामिल हैं ।
- आरोप है कि कुछ जानवर भारत और विदेशों से अनैतिक तरीकों से लाकर रखा गया है, और इस पर Himal Southasian सहित कई संस्थाओं ने सवाल उठाए हैं ।
- खासकर महाराष्ट्र से ‘माधुरी’ हाथी के वंचित समुदायों द्वारा वापस लौटाने की मांग ने स्थिति को विवादास्पद बना दिया है ।
सुप्रीम कोर्ट की यह कार्रवाई एक बड़े और प्रतिष्ठित परियोजना की पारदर्शिता और कानूनी दृष्टिकोण की मांग की ओर पहला कदम प्रतीत होती है। चाहे यह महज तथ्यों का सत्यापन हो, या भविष्य में कार्रवाई के लिए आधारशिला—यह SIT रिपोर्ट स्पष्ट दिशा प्रदान करेगी। वहीं, राजनीतिक मतभेदों के बीच अनंत अंबानी के इस “पशु परियोजना” की न्यायिक निगरानी सत्ताधारियों के लिए भी एक विचारणीय मोड़ हो सकता है।