ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी. नागरथना द्वारा न्यायमूर्ति विपुल पंचोली को सर्वोच्च न्यायालय (SC) के न्यायाधीश के रूप में नामित करने के प्रस्ताव के खिलाफ दर्ज किए गए मतभेद (dissent) को सार्वजनिक करने की मांग उठाई है। CJAR ने साथ ही यह भी कहा कि न्यायमूर्ति पंचोली के गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट में 2023 में हुए तबादले के कारणों का भी खुलासा किया जाए, क्योंकि यह कार्रवाई “दिखने में रूटीन नहीं लगती” ।
कैंपस की पृष्ठभूमि और नागरथना का मतभेद
- सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम — जिसमें CJI भूषण रामकृष्ण गवैया, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जे.के. महेश्वरी और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरथना शामिल हैं — ने 25 अगस्त 2025 को चीफ जस्टिस ऑफ बॉम्बे HC (अलोक अरढे) और चीफ जस्टिस ऑफ पटना HC (विपुल पंचोली) को SC न्यायाधीश बनने के लिए सुझाया ।
- इस निर्णय में न्यायमूर्ति नागरथना ने अकेले विरोध (1–4 का विभाजन) दर्ज किया। उन्होंने न्यायमूर्ति पंचोली की नामांकन प्रक्रिया में वरिष्ठता और क्षेत्रीय संतुलन से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल उठाए ।
- नागरथना ने यह भी रेखांकित किया कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है, यदि पंचोली की नियुक्ति इस तरीके से की जाए। उन्होंने लिखा कि यह कदम “न्यायपालिका के प्रशासन के लिए प्रतिकूल” हो सकता है और “कॉलेजियम सिस्टम की विश्वसनीयता” पर भी असर डाल सकता है ।
केंद्र बिंदुओं में न्यायमूर्ति नागरथना के विरोध के कारण
- सिनियरिटी का सवाल
न्यायमूर्ति पंचोली उच्च न्यायालयों के सभी-भारत वरिष्ठता क्रम में 57वें स्थान पर हैं। कई वरिष्ठ अभिमर्यादित न्यायाधीशों—खासकर गुजरात HC से—को पीछे छोड़ते हुए उनकी नामांकन विवादित है । - क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व (Regional Balance)
गुजरात HC पहले से ही SC में दो न्यायाधीश (JB Pardiwala, N.V. Anjaria) भेज चुका है। पंचोली के आने से यह संख्या तीन हो जाएगी, जिससे उच्च न्यायालयों के बीच असंतुलन की स्थिति बन सकती है । - भविष्य की संभावनाएँ (Future Implications)
न्यायमूर्ति पंचोली नामित होने पर CJI बनने की लाइन में होंगे (2031–2033)। नागरथना ने कहा कि यह संभावित नियुक्ति संस्थागत हितों के खिलाफ हो सकती है और निर्णय प्रणाली की स्वच्छता पर प्रश्नचिन्ह लगा सकती है । - पारदर्शिता की कमी
नागरथना ने कॉलेजियम से अनुरोध किया कि उनका dissent नोट सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित हो, जिससे नियुक्ति प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़े ।
CJAR की माँगें और तात्कालिक अनुरोध
- मतभेद का प्रकाशन
CJAR ने कॉलेजियम के इस मतभेद (dissent) को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि प्रक्रिया और कारण स्पष्ट हो सकें । - स्थानांतरण के पीछे के कारण
CJAR ने यह भी अनुरोध किया कि न्यायमूर्ति पंचोली का गुजरात HC से पटना HC में 2023 में अचानक तथा “रूटीन न लगने वाला” तबादला क्यों किया गया, इसका विवरण साझा किया जाए। इस स्थानांतरण के पीछे के निर्णय और विचारों के दस्तावेज (कैसेकि कॉन्फिडेंशियल मीटिंग्स, विचार-विमर्श) का खुलासा होने की माँग है ।
CJAR की माँगें न्यायिक नियुक्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में हैं। यदि कॉलेजियम में न्यायमूर्ति नागरथना के dissent को सार्वजनिक कर दिया जाए और पंचोली के तबादले के पीछे के निर्णयों को स्पष्ट किया जाए, तो यह निर्णय प्रक्रिया की विश्वसनीयता और संस्थागत स्वच्छता को मजबूती देने में सहायक होगा।