केरल हाईकोर्ट ने NH‑544 के एडापल्ली–मन्नुथी हिस्से पर टोल वसूली को चार हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया है। अदालत ने NHAI को उस समय चार सप्ताह तक टोल नहीं वसूलने का आदेश दिया जब तक हाईवे के हालात सुधार नहीं जाते—इस आदेश के साथ साथ केंद्र सरकार को आवश्यक समाधान का निर्देश भी जारी किया गया है।
मुख्य अदालत के तर्क: ‘जनता का भरोसा टूटे, तो टोल वसूली की कोई वैधता नहीं’
न्यायमूर्ति ए. मुहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति हरिशंकर वी. मेनन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि टोल केवल तब वसूलना उचित है जब सड़क सुरक्षित, सुचारू और व्यवस्थित हो। अगर हाईवे की स्थिति इतनी खराब है कि जनता को परेशानी हो रही है, तो टोल वसूलना नैतिक और कानूनी रूप से सही नहीं माना जा सकता। अदालत ने कहा कि यह “जनता और NHAI के बीच विश्वास का संबंध है, और जब यह टूटता है, तो टोल वसूलना थोपना गलत है।”
टोल वसूली पर रोक के पीछे के हालात
याचिकाकर्ताओं—त्रिशूर के स्थानीय निवासी शाजी के. कोडनकंदाथ तथा जोसेफ ताजेट समेत—ने कोर्ट में कहा कि सड़क पर निर्माण कार्य जैसे अंडरपास, फ्लाईओवर और ड्रेनेज कार्यों के कारण भारी ट्रैफिक जाम हो रहा है, जिससे यात्रा सुरक्षित और सहज नहीं रही। इस कारण टोल लेने का कोई औचित्य नहीं बचता। अदालत ने केंद्र, NHAI, राज्य सचिवालय एवं कांसेशनेयर (टोल संचालक) से मिलकर समाधान निकालने की बात कही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: कांग्रेस ने ली NHAI और राज्य सरकार पर निशाना
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जोसेफ ताजेट ने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक इस मामले पर चुप्पी बनाए रखी है, जबकि NHAI और टोल कंपनी ने अघोषित और अवैध तरीकों से ₹1,614 करोड़ से अधिक वसूल लिए, जबकि परियोजना की लागत मात्र ₹721 करोड़ थी। उन्होंने NHAI द्वारा उल्लंघन के लिए लगाए गए ₹2,354 करोड़ के जुर्माने की वसूली में राज्य की सक्रिय भागीदारी की मांग की है और कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की अपील की है।