कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार, 7 अगस्त को चुनाव आयोग पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में हुए हालिया चुनावों के दौरान मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। उन्होंने दावा किया कि आयोग ने जानबूझकर विपक्ष को मशीन-रीडेबल फ़ॉर्मेट में मतदाता सूची देने से इनकार कर पारदर्शिता को ध्वस्त किया, और इस पूरी प्रक्रिया में भाजपा के साथ मिलीभगत की गई।
राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं की संख्या में असामान्य वृद्धि और दिन के अंत में अचानक मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी ने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गहरे सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि पाँच साल में जितने मतदाता नहीं जुड़े, उतने केवल पाँच महीनों में जोड़ दिए गए। कुछ क्षेत्रों में तो मतदाता संख्या स्थानीय आबादी से भी अधिक हो गई थी।
“लोकसभा में जीत, विधानसभा में हार — बेहद संदिग्ध”
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों का हवाला देते हुए कहा,
“लोकसभा चुनाव में हमारा गठबंधन ज़बरदस्त जीत हासिल करता है, लेकिन कुछ ही महीने बाद विधानसभा में हम हार जाते हैं। यह बेहद संदिग्ध है।”
उन्होंने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच महज़ कुछ महीनों में महाराष्ट्र में 1 करोड़ नए मतदाता सूची में जोड़े गए। कांग्रेस ने इसपर चुनाव आयोग से बार-बार सवाल किए, प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
मशीन-रीडेबल फ़ॉर्मेट देने से इनकार
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर मशीन-रीडेबल फ़ॉर्मेट में मतदाता सूची देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा,
“डेटा का विश्लेषण करने के लिए हमें सॉफ्ट कॉपी चाहिए थी, लेकिन आयोग ने याचिका खारिज कर दी। इससे संदेह और गहराता है।”
उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने छह महीने तक काम कर ‘चुनाव धांधली’ के सबूत जुटाए, जिनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक और बेंगलुरु के चुनावों का विश्लेषण शामिल है।
“एक पते पर 50 मतदाता, एक नाम – अलग-अलग फोटो”
राहुल गांधी ने बताया कि जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
“एक पते पर 50-50 मतदाता दर्ज हैं। कई नाम एक जैसे हैं, लेकिन उनकी तस्वीरें अलग-अलग हैं। ये स्पष्ट फर्जीवाड़ा है।”
उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा इस सीट को एकमात्र विधानसभा क्षेत्र महादेवपुरा के भारी अंतर से जीती, जहां 1 लाख से अधिक फर्जी मतदाता जोड़ दिए गए।
मतदान के दिन की ‘असली तस्वीर’ और सीसीटीवी फुटेज
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मतदान के दिन शाम 5:30 बजे के बाद भारी मतदान का दावा किया, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बताया कि मतदान केंद्रों पर ऐसी कोई भीड़ नहीं थी। साथ ही, उन्होंने आयोग पर सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने का आरोप भी लगाया और इसे “बेहद संदिग्ध” बताया।
“जब हम चुनाव आयोग से मतदाता सूची मांगते हैं, तो वे देने से इनकार कर देते हैं। यह सूची जनता की संपत्ति है। यह छुपाई क्यों जा रही है?”
“क्या एक व्यक्ति को एक वोट का अधिकार सुरक्षित है?”
राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र की मूल भावना पर सवाल उठाते हुए कहा:
“हमारे संविधान का आधार यह है कि हर व्यक्ति को एक वोट का अधिकार हो। लेकिन क्या आज भी यह अधिकार सुरक्षित है?”
उन्होंने कहा कि जनता में यह संदेह लगातार बढ़ रहा है कि भाजपा ही एकमात्र पार्टी है जो सत्ता विरोधी लहर से अछूती रहती है। उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों का उदाहरण देते हुए कहा कि एग्जिट पोल, ओपिनियन पोल और कांग्रेस का आंतरिक सर्वे कुछ और संकेत दे रहे थे, जबकि नतीजे बिल्कुल विपरीत आए।
“ईवीएम के साथ लंबी अवधि में मतदान का संदेह”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि जब देश भर में एक ही दिन चुनाव होता था, तब भरोसे की स्थिति थी, लेकिन अब कई चरणों में मतदान होने और ईवीएम के इस्तेमाल के चलते लोगों में संदेह पैदा हो रहा है।
‘एटम बम’ जैसे सबूत का दावा
राहुल गांधी ने एक अगस्त को यह दावा किया था कि उनके पास ऐसा पुख्ता सबूत है जो “एटम बम” की तरह है – और जो सामने आने पर चुनाव आयोग के पास छुपने की कोई जगह नहीं बचेगी।
हालांकि, चुनाव आयोग ने उनके आरोपों को आधारहीन और अपमानजनक बताते हुए कहा कि राहुल गांधी आयोग और उसके कर्मचारियों को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ये आरोप केवल एक चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र की नींव – मतदाता की पहचान, वोट की गोपनीयता और निष्पक्ष चुनाव – पर एक सीधा सवाल है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और विपक्ष इस मुद्दे को किस तरह आगे बढ़ाता है।