बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने जनता दल (सेक्युलर) के नेता और पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को एक महिला के साथ बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला हासन जिले के होलेनरसिपुरा रूरल पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था, और यह रेवन्ना के खिलाफ दर्ज पहला मामला था।
विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी ने 47 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ कई बार बलात्कार किया और वीडियो बनाकर उसे धमकाया। अदालत ने रेवन्ना को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(n), 376(2)(k), 354A, 354B, 506, 201 तथा आईटी एक्ट की धारा 66E के तहत दोषी माना। साथ ही अदालत ने ₹5 लाख का जुर्माना भी लगाया।
मोदी ने किया था प्रचार
चौंकाने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रज्वल रेवन्ना के लिए प्रचार किया था, जो उस समय भाजपा-जेडीएस गठबंधन के उम्मीदवार थे। पीएम मोदी ने हासन लोकसभा सीट पर आयोजित एक जनसभा में रेवन्ना के लिए वोट भी मांगे थे। कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “प्रधानमंत्री को इस पर देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए। उन्हें रेवन्ना के खिलाफ लगे आरोपों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने उसके लिए प्रचार किया। क्या यही है ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का असली चेहरा?”
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भाजपा और जेडीएस दोनों इस अपराध के नैतिक साझेदार हैं। “अगर प्रधानमंत्री ने ज़रा भी गंभीरता दिखाई होती, तो शायद यह मामला इतना नहीं बढ़ता,” उन्होंने कहा।
अदालत की सख्त टिप्पणी
फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि “ऐसे मामलों में आरोपी की सामाजिक या राजनीतिक स्थिति का कोई महत्व नहीं होता। न्याय सबके लिए समान है।”
दोषी की प्रतिक्रिया
सजा सुनाए जाने के बाद रेवन्ना कोर्ट में रो पड़े और खुद को निर्दोष बताते हुए न्यूनतम सजा की मांग की। उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया और उन्हें सिर्फ इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे राजनीतिक रूप से सफल हो रहे थे।
यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि राजनीतिक रसूख और सत्ता भी कानून की पकड़ से बच नहीं सकती। साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या नेताओं को प्रचार से पहले अपने उम्मीदवारों की जांच नहीं करनी चाहिए? विशेषकर जब देश की सर्वोच्च सत्ता से जुड़े नेता उनका समर्थन कर रहे हों।