कांग्रेस ने अमेरिकी एल्गोरिद्मिक ट्रेडिंग फर्म Jane Street और SEBI के खिलाफ तीखी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कई सवाल उठाए हैं।

SEBI ने ₹4,843 करोड़ को “unlawful gains” घोषित कर उसमें trading ban और escrow की व्यवस्था कर दी है 

कार्रवाई जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच हुई मुनाफे के आधार पर निर्धारित की गई। SEBI ने Jane Street को तुरंत प्रभाव से भारतीय बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत  पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यह सवाल उठाया जो इस प्रकार है।

  • Jane Street को भारत से पैसा लाने और निकालने की अनुमति किसने दी?
  • अवैध मुनाफा कमाने के बाद उस रकम को वापस अमेरिका भेजने की अनुमति किसने दी?
  • Jane Street का व्यापार किसकी निगरानी में हो रहा था — SEBI, RBI, कौन था जिम्मेदार?
  • कंपनी ने ₹44,000 करोड़ का अवैध मुनाफा भारतीय बाजार से बाहर भेजा, अब उसका क्या होगा?
  • SEBI को जगने में चार साल क्यों लगे, और बैन लगने में केवल पांच महीने क्यों? उन्होंने तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की?
  • ED, CBI, आयकर विभाग आदि एजेंसियाँ इस दौरान क्यों निष्क्रिय रहीं?
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को इस पूरे मामले की क्या जानकारी थी?
  • जब Jane Street अपना अवैध मुनाफा विदेश भेज रही थी, तो उस पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
  • वापस कैसे लाया जाएगा वह नाजायज़ पैसा?
  • इस पूरे दौरान SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच का क्या रोल था — उन्होंने प्रणाली को “आँखों पर पट्टी बांधकर” रखा?

कांग्रेस का निशाना: एजेंसियों की निष्क्रियता

कांग्रेस का आरोप है कि SEBI ने चार साल तक चुप्पी साधी रखी, जेल तब जागा जब विदेशी निवेशकों ने बड़ी रकम वापस लेनी शुरू की।

सवाल यह उठता है कि इस अवधि में ED, CBI, IT जैसी संस्थाएं कहाँ थीं, और मोदी-शाह क्यों चुप थे 

राहुल गांधी का हमला

लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ने अमीरों को संरक्षण दिया, SEBI ने जबर्दस्ती चुप रहने का रवैया अपनाया । उन्होंने SEBI से पूछा: “किसके कहने पर कार्रवाई नहीं हुई? कितने और बड़े खिलाड़ी बाजार को तोड़ रहे थे?”

 

नतीजा और आगे की राह

  • ₹4,843 करोड़ फिलहाल escrow खाते में हैं; अब SEBI के आदेश और कानूनी प्रक्रिया के ज़रिए तय होगा कि यह रकम भारत लौटेगी या नहीं।
  • अगले 21 दिनों में Jane Street को जवाब देना होगा — इसके बाद SEBI और संभवतः कोर्ट में मामला जाएगा।
  • कांग्रेस की ओर से JPC या SC जांच की मांग सामने आ रही है।

यह मामला न सिर्फ विदेशी फर्मों के वित्तीय नियंत्रण की परीक्षा है, बल्कि भारत में एजेंसियों की जवाबदेही, पारदर्शिता और संस्थागत क्षमता पर भी सवाल खड़े करता है। कांग्रेस की तीखी टिप्पणियाँ SEBI और मोदी सरकार के ऊपर सुप्त संरक्षण और देरी की निंदा करती हैं।

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