पुंछ की विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट, शफीक अहमद की अदालत में आज एक संज्ञानपूर्ण मुकदमा सुनवाई करते हुए Zee News और CNN-News18 के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के निर्देश दिए गए, साथ ही दोनों चैनलों को ₹5 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। यह कदम उन चैनलों द्वारा 07 मई 2025 को ऑपरेशन “सिंदूर” के दौरान प्रसारित की गई गलत और मानहानिकारक रिपोर्टिंग पर आधारित है ।
घटना का सार:
07 मई को पाकिस्तानी फायरिंग में मारे गए स्थानीय शिक्षक और मौलवी करी मोहम्मद इकबाल को दोनों चैनलों ने “पाकिस्तानी आतंकी” बताकर लश्कर‑ए‑तैबा और पुलवामा हमले से जोड़ा, बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के ()। बाद में दोनों चैनलों ने अपनी गलती स्वीकार कर माफी मांगी, लेकिन अदालत ने इसे पर्याप्त नहीं माना ()।
अदालत की टिप्पणियाँ & न्यायिक फैसला:
अदालत ने कहा कि प्रेस की आज़ादी संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के अंतर्गत है, लेकिन यह 19(2) के तहत मानहानि, सार्वजनिक व्यवस्था और शिष्टाचार जैसे कारणों से सीमित हो सकती है ।
चैनलों की जल्दबाज़ी और बिना जांच के रिपोर्टिंग को “गंभीर पत्रकारिता कदाचार” (serious journalistic misconduct) करार दिया गया ।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वितरित प्रचार ने पुंछ में व्यापक अपमान एवं शांति भंग किया, इसलिए FIR दर्ज करना जरूरी है ।
चैनलों को ₹5 करोड़ का जुर्माना लगाया गया, ताकि सभी मीडिया संस्थान “सत्य और जिम्मेदारी” के साथ रिपोर्ट करें ।
आदेश:
SHO, थाना पुंछ को दर्ज FIR (धारा 353(2), 356, 196(1) BNSS 2023 और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत) करने के निर्देश दिए गए।
सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का आदेश भी जारी किया गया ।
SSP पुंछ को भी इसकी सुपरवाइज़री निगरानी के लिए निर्देशित किया गया ()।
⚖️ यदि अदालत का यह फैसला बने नजीर
- यह ज़बरदस्त मिसाल है कि ग़लत, बिना जांच के न्यूज़ देने पर भी न्यायालय कारवाई कर सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में इस फैसले को प्रेस की जिम्मेदारी पर एक नई मिसाल के रूप में देखा जाएगा।
- भविष्य में मीडिया हाउसों को यूके या अमेरिका के ‘न्यूज़नेटवर्क्स’ की तरह विनियमों का सामना करना पड़ सकता है।