ब्लोआउट 12 जून 2025 को सुबह लगभग 11:45 बजे हुआ, अब तक जो लीक जारी है वो 5वें दिन तक थमा नहीं है।
रूद्रसागर तेल क्षेत्र, रिग संख्या SKP‑135, कुआँ संख्या RDS‑147, भतीआपार के बरीचुक गांव के पास प्राचीन तेल कुँआ था जिसमें ज़ोन ट्रांसफर प्रयोजन से छेद (perforation) किया जा रहा था; अत्यधिक दबाव में अचानक गैस लीक शुरू हो गया।
बचाव एवं नियंत्रण प्रयास
- ONGC ने “सबसे अनुभवी संकट प्रबंधन टीम” (CMT) तैनात की और टॉप मैनेजमेंट स्तर पर निगरानी की जा रही है।
- विशेष “जंक शॉट” तकनीक (golf‑balls, shredded tires आदि) को लागू किया जा रहा है ताकि गैस प्रवाह रोका जा सके; “वेल किलिंग” के लिए ऊँच‑दबाव वाले पंप लगाए गए हैं।
- उच्च क्षमता वाले फ्रैक पंप, मड उपकरण, फायर पंप और एक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ की मदद भी ली जा रही है। जल कूलिंग हेतु पास के डिक्हौ नदी से हाई‑प्रेशर पानी सप्लाई की जा रही है।
प्रभावित लोगों की सुरक्षा एवं राहत कार्य
प्रभावित क्षेत्र में लगभग 1,500 लोग निवासी थे; इनमें से 70 परिवारों (लगभग 350 लोग) को निकाला गया और Bongaon में राहत शिविर लगाया गया।
ONGC ने राहत शिविरों में पशुओं सहित लोगों के लिए खाना, पानी, दवाईयां, मेडिकल कैंप आदि की व्यवस्था की है। जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता की सतत मॉनिटरिंग जारी है; रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण अभी भी मान्य स्तर में है।
असम सरकार ने Chief Minister’s Relief Fund से प्रभावित प्रत्येक परिवार को ₹25,000 की तत्काल आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है (लगभग 350 परिवारों को कवर किया जाएगा)।
राजनैतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हर्षदीप पुरी और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मामले का फॉलो‑अप किया; विशेषज्ञ मदद बुलाने पर सहमति बनी।
पुरी ने ट्वीट किया कि ‘वेल किल कंट्रोल’ के लिए जंक पंपिंग, जल कूलिंग, अंतरराष्ट्रीय तकनीकी सहयोग आदि को तत्काल लागू किया गया है।
प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियाँ
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने पिछले 2020 के Baghjan ब्लोआउट की याद दिलाई, जिसमें 6 महीने लग गए थे कंट्रोल करने में। उन्होंने पूछा, “सिवसागर में इसे नियंत्रित करने में कितना समय लग सकता है?”
Down To Earth की रिपोर्ट के अनुसार कुल मिलाकर लगभग 1,200–1,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाया गया।
यह घटना तेल‑गैस खदानों से जुड़े भौगोलिक एवं तकनीकी जोखिमों का उदाहरण है। सुरक्षा मानकों, रख‑रखाव और सतर्कता में सामान्य चूक गंभीर परिणाम दे सकती है।
Baghjan ब्लोआउट से सीखा गया सबक है कि धीमी प्रतिक्रिया और अधूरी तैयारी से मानवीय और पर्यावरणीय दोनों स्तरों पर क्षति फैल सकती है।
असम के सिवसागर में 12 जून की इस ब्लोआउट घटना ने तेल‑गैस क्षेत्र की जोखिमों को फिर उजागर किया है। सरकारी और ONGC की राहत‑प्रतिक्रिया व्यवस्थित है; विशेषज्ञों की मदद, तकनीकी प्रयास और स्थानीय प्रशासन की सक्रिय निगरानी जारी है। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित निकाला गया, आर्थिक मदद की गई, वायु‑प्रदूषण नियंत्रण में रखा गया, लेकिन घटना के पूर्ण नियंत्रण में कितना समय लगेगा — यह अभी स्पष्ट नहीं है।