गुरुवार दोपहर एक भीषण हादसे में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो लंदन गेटविक के लिए रवाना हुई थी, अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेकऑफ़ के कुछ ही पलों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में अब तक 30 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर शामिल थे। यात्री सूची में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, और कुछ कनाडा और पुर्तगाल के नागरिक भी थे। सूत्रों के अनुसार, विमान में पूर्व गुजरात मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी सवार थे।
टेकऑफ़ के बाद विमान मुश्किल से 625 फीट की ऊंचाई तक पहुंचा था कि वह अचानक रडार से गायब हो गया और मेघानीनगर इलाके में BJ मेडिकल कॉलेज के छात्रावास से टकरा गया। टक्कर के बाद जोरदार धमाका हुआ और विमान में भीषण आग लग गई, जिससे आसपास की इमारतें और सड़कें भी प्रभावित हुईं।
हॉस्टल के छात्र भी प्रभावित
BJ मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में उस समय दर्जनों छात्र मौजूद थे। टक्कर के कारण हॉस्टल की दीवारों और छतों को नुकसान पहुँचा है। कुछ छात्र मलबे में फंसे पाए गए हैं, जिन्हें तुरंत निकटवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराया गया। हादसे के कारण मेडिकल कॉलेज परिसर में अफरा-तफरी मच गई।
घटना के तुरंत बाद NDRF, फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और एयरपोर्ट की इमरजेंसी टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं। सभी उड़ानों को अहमदाबाद एयरपोर्ट से अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है। अडाणी समूह, जो हवाई अड्डे का संचालन करता है, ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
🔍 जांच की प्रक्रिया
- इस हादसे की जांच के लिए DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय), AAIB (विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो) और एयर इंडिया की संयुक्त टीम गठित की गई है।
- दुर्घटनाग्रस्त विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था, जिसकी पंजीकरण संख्या VT-ANB थी।
- प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, टेक्निकल खराबी के चलते विमान संतुलन खो बैठा। लंबी दूरी की उड़ान के कारण उसमें भारी मात्रा में ईंधन भरा गया था, जिससे आग ज्यादा तेजी से फैली।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी। वहीं, ब्रिटिश सरकार ने भी चिंता जताते हुए भारत को हर संभव सहायता की पेशकश की है।
यह हादसा बोइंग 787 सीरीज़ का पहला जानलेवा दुर्घटना है। इसके साथ ही यह एयर इंडिया के इतिहास में 1985 की फ्लाइट 182 के बाद सबसे गंभीर हवाई त्रासदी मानी जा रही है।