मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) द्वारा प्रस्तावित ₹14,000 करोड़ के ठाणे-घोड़बंदर-भायंदर एलिवेटेड रोड और टनल परियोजना में टेंडर प्रक्रिया को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इंजीनियरिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने इस परियोजना के लिए मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) से ₹3,000 करोड़ कम बोली लगाई थी, बावजूद इसके MMRDA ने तकनीकी आधार पर L&T को अयोग्य घोषित कर दिया। इस निर्णय के खिलाफ L&T ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को MMRDA से पूछा कि क्या वह इस परियोजना के लिए पुनः टेंडर प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रही है। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि यदि MMRDA ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया, तो गुरुवार को अंतरिम आदेश जारी किया जा सकता है ।

MMRDA का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया में तकनीकी योग्यता के आधार पर ही निर्णय लिया गया है, और अंतिम अनुबंध से पहले बोलीदाताओं की स्थिति का खुलासा करना आवश्यक नहीं है। वहीं, L&T का तर्क है कि यह प्रक्रिया सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के पारदर्शिता दिशानिर्देशों के विपरीत है ।

इससे पहले, बॉम्बे हाई कोर्ट ने L&T की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उसने टेंडर प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने यह भी माना कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और यह प्रक्रिया मनमानी प्रतीत होती है ।

इस परियोजना में 5 किलोमीटर लंबी सुरंग और 9.8 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड शामिल है, जो वसई क्रीक के साथ-साथ बनाया जाएगा। यह देश की दूसरी सबसे लंबी सड़क परियोजना होगी, जो मुंबई महानगर क्षेत्र में यातायात की भीड़ को कम करने में सहायक होगी।

अब सभी की निगाहें गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के संभावित अंतरिम आदेश पर टिकी हैं, जो इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना की दिशा तय करेगा।

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