केरल के उत्तरी हिस्सों में हाल ही में नवनिर्मित राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 66 की कुछ धाराओं के ध्वस्त होने के बाद, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने शुक्रवार को केरल उच्च न्यायालय के समक्ष यह स्वीकार किया कि सड़क निर्माण, विशेष रूप से मल्लापुरम ज़िले के कूरियाड में, एनएच तटबंध के निर्माण में एजेंसी से गंभीर चूक हुई है।
इस स्वीकारोक्ति के बाद, उच्च न्यायालय ने NHAI को 29 मई तक एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें इस ध्वस्त होने के कारणों के साथ-साथ प्रस्तावित सुधारात्मक उपायों का भी स्पष्ट उल्लेख हो।
न्यायालय इस मामले की सुनवाई राज्य भर में खराब सड़कों की स्थिति को लेकर दायर की गई कई याचिकाओं के सिलसिले में कर रहा था। कोर्ट ने इस मुद्दे को “बेहद गंभीर” बताया और आशा व्यक्त की कि भविष्य में वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि केरल की जनता पिछले तीन वर्षों से एनएच 66 के चौड़ीकरण कार्य के पूरे होने का धैर्यपूर्वक इंतजार कर रही थी और इस दौरान उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया। लेकिन अब जब सड़क बन चुकी है, तो उसका ढह जाना जनता की चिंता को और बढ़ा रहा है।
जब एक याचिका में निर्माण स्थल पर ट्रैफिक रेगुलेशन के मुद्दे को उठाया गया, तब NHAI ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि वह सड़क निर्माण में विशेषज्ञ है, ट्रैफिक नियंत्रण में नहीं। इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि “क्या NHAI अब भी अपनी निर्माण विशेषज्ञता पर भरोसा करता है?”
विशेषज्ञ समिति की जांच
NHAI के वकील ने अदालत को बताया कि एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो प्राथमिक जांच कर रही है। प्रारंभिक निष्कर्ष के आधार पर मल्लापुरम में एनएच कॉरिडोर का निर्माण करने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि ढहने का मुख्य कारण जल रिसाव प्रतीत होता है और वरिष्ठ अधिकारी व तकनीकी विशेषज्ञ मौके का निरीक्षण कर चुके हैं।
संभावना है कि समस्या के समाधान के लिए संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता हो सकती है। इसके लिए NHAI ने अदालत से जून के पहले सप्ताह तक का समय मांगा है ताकि विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सके।