सुप्रीम  कोर्ट ने बुधवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका अधिवक्ता मैथ्यूज नेडुमपारा और तीन अन्य ने दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास से अवैध नकदी की बरामदगी हुई थी।

न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष कोई प्रतिनिधित्व नहीं किया है, जबकि मुख्य न्यायाधीश द्वारा इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा की प्रतिक्रिया पहले ही उन्हें भेजी जा चुकी है। इसलिए, याचिका इस चरण में विचारणीय नहीं है।

मार्च में, दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद, वहां से बड़ी मात्रा में अधजली नकदी बरामद हुई थी। इस घटना के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन-सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति का गठन किया, जिसने नकदी की बरामदगी की पुष्टि की।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जांच रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा की प्रतिक्रिया राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी है। इसके बाद, उन्होंने केंद्र सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की है। 

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को पहले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत करनी चाहिए थी। इसलिए, कोर्ट ने याचिका को इस चरण में खारिज कर दिया।

 

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