अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे सैन्य कार्रवाई के बीच दोनों देशों ने ‘पूर्ण और तत्काल युद्धविराम’ पर सहमति व्यक्त कर ली है। ट्रंप ने इस समझौते का श्रेय अमेरिका की मध्यस्थता को देते हुए कहा कि यह “सामूहिक समझदारी और बेहतरीन कूटनीति” का परिणाम है।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा,

“भारत और पाकिस्तान ने एक पूर्ण और त्वरित संघर्षविराम के लिए सहमति दी है। यह अमेरिका की ओर से चल रही रात भर की बातचीत के परिणामस्वरूप संभव हो पाया।”

बीते सप्ताह भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कथित आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे। ये हमला पाकिस्तान द्वारा पहलगांव में की गई आतंकवादी घटना जिसमें 26 बेगुनाह लोगों की मौत हुई थी, के बदले के रूप मे कि गई थी । जिसके बाद पाकिस्तान ने “ऑपरेशन बुनीयन उल मर्सूस” के तहत जवाबी कार्रवाई शुरू की। दोनों पक्षों के बीच हुई इन झड़पों में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिनमें कई नागरिक भी शामिल थे। सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी तबाही और बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ।

पाकिस्तान और भारत ने की पुष्टि

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने पुष्टि की कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर सहमति बन गई है और दोनों पक्ष तत्काल प्रभाव से संघर्ष रोकने पर राज़ी हो गए हैं। भारत सरकार की ओर से इस संबंध में आधिकारिक बयान विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिस्री ने दिया ।

मिस्री ने कहा:

“पाकिस्तान के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) ने आज दोपहर 15:35 बजे भारत के DGMO को कॉल किया। दोनों पक्षों में यह सहमति बनी कि जमीन, वायु और समुद्र में सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को रोका जाएगा। यह निर्णय भारतीय समयानुसार 17:00 बजे से प्रभाव में आ गया है।”

 

राजनीतिक और रणनीतिक महत्व

विश्लेषकों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का बढ़ना न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय है, विशेषकर दोनों देशों के पास परमाणु हथियारों की मौजूदगी को देखते हुए। इस पृष्ठभूमि में अमेरिका जैसे तीसरे पक्ष की मध्यस्थता निर्णायक सिद्ध हो सकती है।

डोनाल्ड ट्रंप की इस घोषणा ने दुनिया का ध्यान एक बार फिर भारत-पाकिस्तान तनाव की ओर खींचा है। जहां एक ओर यह एक सकारात्मक कूटनीतिक पहल प्रतीत होती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हालात और सरकारों की औपचारिक प्रतिक्रिया से ही यह तय होगा कि यह युद्धविराम स्थायी समाधान की दिशा में पहला कदम है या सिर्फ अस्थायी राहत।

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