उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 8 मार्च को हुए पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई हत्याकांड का पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है। यह हत्या किसी आपराधिक गिरोह या निजी दुश्मनी की नहीं, बल्कि एक शर्मनाक साजिश की उपज थी—जिसमें समाज के एक तथाकथित धर्मगुरु ने अपनी काली करतूत छिपाने के लिए एक पत्रकार की जान ले ली।

जानकारी के मुताबिक, पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई ने मंदिर के भीतर पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर को एक नाबालिग बच्चे के साथ कुकर्म करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था। उन्होंने इस घटना को सार्वजनिक करने और अखबार में खबर छापने की बात कही थी।

इसी से घबराकर पुजारी ने अपने दो साथियों निर्मल सिंह और असलम गाजी की मदद से पत्रकार की हत्या की योजना बनाई। पुजारी ने कथित तौर पर 4 लाख रुपये की सुपारी देकर दो शूटरों को हत्या की जिम्मेदारी दी। 8 मार्च को पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

पुलिस ने जांच के दौरान तीन मुख्य आरोपियों — शिवानंद बाबा, निर्मल सिंह और असलम गाजी — को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, हत्या को अंजाम देने वाले दोनों शूटर अभी फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।

पुलिस अधीक्षक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस मामले में आईपीसी की संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, और जल्द ही बचे हुए आरोपियों को भी पकड़ लिया जाएगा।

इस हत्या ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पत्रकारिता एक साहसिक पेशा है, जिसमें सच सामने लाने की कीमत जान देकर चुकानी पड़ सकती है। साथ ही, यह घटना धार्मिक आस्था के नाम पर छिपे ढोंगियों की सच्चाई को भी उजागर करती है।

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