एक चौंकाने वाले खुलासे में, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने पाया है कि भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने रिलायंस Jio को ₹1,757.76 करोड़ का बिल भेजने में 10 साल की देरी कर दी। यह राशि 2014 से बकाया थी और BSNL और Jio के बीच हुए मास्टर सर्विस एग्रीमेंट (MSA) के तहत देय थी।
BSNL के अफसर 10 साल तक ‘भूल’ गए?
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, BSNL के किसी भी क्षेत्रीय प्रबंधक ने 2014 से 2024 तक Jio को इस बकाया राशि के लिए बिल नहीं भेजा। यह आश्चर्यजनक है कि एक दशक तक BSNL के सभी अधिकारियों को इसकी याद नहीं आई। दूसरी ओर, यह तो समझा जा सकता है कि Jio को BSNL से बिल न मिलने की शिकायत करने की जरूरत नहीं पड़ी।
4G स्पेक्ट्रम Jio को ‘मुफ्त’ में दे दिया गया?
CAG की यह रिपोर्ट तब आई है जब अतीत में 2G स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर खूब हंगामा हुआ था। उस समय, CAG ने 2G स्पेक्ट्रम की अनुमानित कीमत ₹1.72 लाख करोड़ बताई थी, जबकि 5 kB/s की स्पीड के उस स्पेक्ट्रम की तुलना में, Jio को 4G स्पेक्ट्रम बेहद सस्ते दामों पर दिया गया। यह राष्ट्र के लिए एक बड़ा आर्थिक नुकसान है, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।
“भ्रष्टाचार विरोधी योद्धाओं” की चुप्पी
एक समय था जब अन्ना हज़ारे, अरविंद केजरीवाल और अन्य भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता बड़े-बड़े घोटालों पर सड़कों पर उतरते थे। लेकिन आज जब राष्ट्र की संपत्ति औने-पौने दामों में निजी कंपनियों को दी जा रही है, तो कोई आवाज़ नहीं उठा रहा।
मोदी सरकार की भूमिका पर सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो खुद को भ्रष्टाचार विरोधी नेता बताते हैं, इस घोटाले पर पूरी तरह से मौन हैं। उनकी सरकार पर आरोप है कि वे BSNL को जानबूझकर कमजोर किया और सरकारी संसाधनों को निजी कंपनियों के हवाले किया।
हिंदू-मुस्लिम डिबेट में उलझाकर असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है
कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि आज देश की जनता को हिंदू-मुस्लिम मुद्दों में उलझाकर असली घोटालों और लूट पर चर्चा नहीं होने दी जा रही। जब सरकारी कंपनियों को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है, तब भी मीडिया और विपक्ष पूरी तरह से निष्क्रिय नजर आ रहे हैं।
क्या देश को अब भी कोई फर्क नहीं पड़ता?
यह सवाल हर भारतीय को खुद से पूछना चाहिए:
- BSNL जैसी सरकारी कंपनियों को बर्बाद कर Jio जैसी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाना क्या राष्ट्र के साथ धोखा नहीं है?
- अगर 2G घोटाले पर इतना बवाल हुआ था, तो 4G स्पेक्ट्रम की इस लूट पर क्यों नहीं?
- क्या ‘भूल’ एक बहाना है, या किसी बड़े खेल का हिस्सा?
जब तक जनता इन मुद्दों पर सवाल नहीं उठाएगी, तब तक सरकारी संपत्तियां निजी हाथों में जाती रहेंगी और देश लूटता रहेगा।