टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा की वसीयत का खुलासा हो गया है। इसमें उनकी ₹10,000 करोड़ की संपत्ति के बंटवारे का विवरण सामने आया है। वसीयत के अनुसार, उनका अधिकांश धन रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा ट्रस्ट को दान कर दिया गया है, जिससे समाज सेवा और परोपकारी कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा।
परिवार और करीबी सहयोगियों को मिला हिस्सा
रतन टाटा ने अपने परिवार के सदस्यों, करीबी सहयोगियों और लंबे समय से सेवा कर रहे कर्मचारियों को भी वसीयत में शामिल किया है।
1. परिवार को मिला हिस्सा
- सौतेली बहनें शिरीन और डीनना जेजीभॉय को संपत्ति का कुछ हिस्सा दिया गया है।
- भाई जिमी टाटा को जुहू स्थित बंगले का एक हिस्सा सौंपा गया है।
2. करीबी दोस्त और सहयोगी
- मेहली मिस्त्री, जो रतन टाटा के करीबी दोस्त हैं, उन्हें अलीबाग की संपत्ति और तीन बंदूकें दी गई हैं।
- मोहिनी एम. दत्ता, जो टाटा समूह की पूर्व अधिकारी हैं, उन्हें भी संपत्ति का बड़ा हिस्सा सौंपा गया है।
3. कर्मचारियों को मिला सम्मान
रतन टाटा ने उन कर्मचारियों का भी ध्यान रखा जो वर्षों से उनके साथ काम कर रहे थे।
- रसोइया राजन शॉ और बटलर सुब्बियाह को वसीयत में शामिल किया गया है।
- उनके सहायक शांतनु नायडू का छात्र ऋण माफ कर दिया गया है, और उन्हें उनकी कंपनी ‘गुडफेलो’ में टाटा की हिस्सेदारी दी गई है।
- उनके पालतू कुत्ते टीटो की देखभाल के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
वसीयत के निष्पादक
इस वसीयत को लागू करने की जिम्मेदारी शिरीन जेजीभॉय, डीनना जेजीभॉय, वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा और मेहली मिस्त्री को सौंपी गई है।
परोपकारी दृष्टिकोण का परिचायक
रतन टाटा की यह वसीयत उनके सामाजिक सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाती है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत धन का अधिकांश हिस्सा समाज कल्याण के लिए समर्पित कर दिया, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
रतन टाटा का यह निर्णय उनके जीवन के उसी दर्शन को प्रतिबिंबित करता है, जिसमें उन्होंने हमेशा व्यक्तिगत लाभ से अधिक समाज सेवा को प्राथमिकता दी।