दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा स्वीडन स्थित प्रोफेसर अशोक स्वैन का ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड रद्द करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। अशोक स्वैन, जो उप्साला विश्वविद्यालय में शांति और संघर्ष अनुसंधान के प्रोफेसर हैं, ने इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
केंद्र सरकार ने स्वैन पर भारत की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा के खिलाफ अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उनका OCI पंजीकरण रद्द कर दिया था। सरकार ने दावा किया था कि स्वैन की गतिविधियाँ भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में धूमिल कर रही थीं और देश के हितों को नुकसान पहुंचा रही थीं।
स्वैन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि उनका OCI कार्ड रद्द करने का आदेश बिना किसी ठोस कारण के लिया गया था और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से जवाब मांगा और अंततः स्वैन के पक्ष में निर्णय देते हुए उनके OCI कार्ड की बहाली का आदेश दिया। यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।