फरवरी 2025 में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की पीठों को प्रभावित करने के आरोप में दो निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सूत्रों के अनुसार, दिवाला कार्यवाही में अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की राशि ली जाती थी।

रैकेट का खुलासा:

पत्रकार अरविंद गुनाशेखर के मुताबिक़ सीबीआई सूत्रों ने बताया कि रजिस्ट्री अधिकारी इन दलालों और एनसीएलटी के सदस्यों के बीच की कड़ी के रूप में कार्य करते थे। यह एक सुव्यवस्थित रैकेट था, जो देशभर में एनसीएलटी की पीठों को प्रभावित करता था। एक पूर्व रजिस्ट्री अधिकारी, जो इस रैकेट का मुख्य सरगना माना जा रहा है, को जांच के दायरे में लाया गया है।

जांच की प्रगति:

सीबीआई ने संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने संबंधित दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया है, जो इस रैकेट के संचालन के सबूत प्रदान कर सकते हैं।

न्यायिक प्रणाली पर प्रभाव:

इस खुलासे ने न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। एनसीएलटी, जो कॉर्पोरेट मामलों और दिवाला प्रक्रियाओं के निपटारे के लिए स्थापित एक महत्वपूर्ण संस्था है, में इस प्रकार की अनियमितताओं का सामने आना चिंताजनक है।

आगे की कार्रवाई:

सीबीआई इस मामले में गहराई से जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। साथ ही, न्यायपालिका और संबंधित प्राधिकरण इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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