दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने हाल ही में सरकारी अधिकारियों द्वारा विधायकों के प्रति असहयोग की शिकायत की है। यह मुद्दा पूर्व आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के कार्यकाल के दौरान देखी गई प्रशासनिक खींचतान की याद दिलाता है।

19 मार्च 2025 को मुख्य सचिव धर्मेंद्र को लिखे एक पत्र में, अध्यक्ष गुप्ता ने चिंता व्यक्त की कि कई वरिष्ठ नौकरशाह विधायकों के पत्रों, फोन कॉल्स या संदेशों का जवाब नहीं दे रहे हैं। उन्होंने इसे “गंभीर मुद्दा” बताते हुए अधिकारियों को निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करने की याद दिलाने की आवश्यकता जताई।

यह घटनाक्रम दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के बाद सामने आया है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 70 में से 47 सीटों पर जीत हासिल कर राष्ट्रीय राजधानी में 27 वर्षों बाद सत्ता में वापसी की। इससे पहले 2015 से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी। 

दिल्ली की नौकरशाही के साथ टकराव का यह मुद्दा पहले भी चर्चा में रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई बार केंद्र सरकार पर निर्वाचित सरकार को कमजोर करने और प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण रखने का आरोप लगाया था, जिससे शासन में गतिरोध उत्पन्न हुआ। 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि दिल्ली सरकार को प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण प्राप्त है, हालांकि पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि से जुड़े मामलों को इसमें शामिल नहीं किया गया था। 

हालांकि दिल्ली में राजनीतिक नेतृत्व बदल गया है, लेकिन नौकरशाही की असहयोगात्मक प्रवृत्ति बताती है कि प्रशासनिक प्रणाली में गहरे निहित मुद्दे अब भी बने हुए हैं। भाजपा सरकार भी अब उन्हीं चुनौतियों का सामना कर रही है, जिससे पहले आप सरकार को जूझना पड़ा था।

अब देखना होगा कि नई सरकार इन प्रशासनिक अड़चनों को कैसे दूर करती है और दिल्लीवासियों की उम्मीदों पर कैसे खरा उतरती है।

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