चीनी ऑटोमोबाइल कंपनी BYD ने हाल ही में एक उन्नत चार्जिंग सिस्टम पेश किया है, जो इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इस नए सिस्टम की बदौलत, BYD की इलेक्ट्रिक कारें मात्र 5 मिनट की चार्जिंग में 400 किलोमीटर (लगभग 249 मील) की दूरी तय करने में सक्षम होंगी।
BYD का नया सुपर ई-प्लेटफ़ॉर्म 1,000 किलोवाट (kW) की पीक चार्जिंग स्पीड प्रदान करता है, जो टेस्ला के नवीनतम 500 kW सुपरचार्जर्स की तुलना में दोगुनी तेज़ है। यह तकनीक इलेक्ट्रिक वाहनों को पेट्रोल और डीजल वाहनों के समान तेजी से चार्ज करने में सक्षम बनाती है, जिससे चार्जिंग समय में महत्वपूर्ण कमी आएगी।
BYD की इस नवीनता ने वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में हलचल मचा दी है, जिससे कंपनी के शेयरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह तकनीक टेस्ला जैसी प्रमुख कंपनियों के लिए चुनौती बनकर उभरी है, जो वर्तमान में 500 kW तक की चार्जिंग स्पीड प्रदान करती हैं।
BYD की यह नई चार्जिंग तकनीक टेस्ला जैसी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।टेस्ला के सुपरचार्जर वर्तमान में 15 मिनट में केवल 275 किलोमीटर की रेंज प्रदान करते हैं, जबकि BYD का नया चार्जिंग सिस्टम मात्र 5 मिनट में 400 किलोमीटर तक की रेंज दे सकता है।इससे इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के क्षेत्र में एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है।
BYD की इस तकनीकी बढ़त के कारण टेस्ला को चीन में भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। टेस्ला की चीन में डिलीवरी फरवरी 2025 में 49% गिर गई, जो दर्शाता है कि कंपनी को स्थानीय बाजार में कठिनाई हो रही है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई पहल की हैं, जैसे कि FAME-II योजना, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के अंगीकरण और विनिर्माण में तेजी लाना है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष योजना भी अधिसूचित की गई है, जिसमें निवेशकों को न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना आवश्यक है।
हालांकि, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कि चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, उच्च प्रारंभिक लागत, और उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी। इन चुनौतियों के बावजूद, इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य भारत में उज्ज्वल माना जा रहा है, क्योंकि वे पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं और देश की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान कर सकते हैं।
BYD की इस नई तकनीक से प्रेरणा लेते हुए, भारतीय कंपनियों को भी अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना चाहिए, ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे न रहें और देश में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को आगे बढ़ा सकें।