केरल उच्च न्यायालय ने आज एक निजी आयुर्वेद कंपनी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में डॉ. एबी फिलिप्स और उनके सह-लेखकों के खिलाफ सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह मामला एक अध्ययन के प्रकाशन से संबंधित है, जिसमें एक बच्चे के गंभीर आयुर्वेदिक हर्बल उत्पादों से हुए नुकसान का विवरण दिया गया था। इस घटना में बच्चा लगभग मृत्यु के कगार पर पहुंच गया था।
डॉ. फिलिप्स और उनके सह-लेखकों ने इस कानूनी लड़ाई में अब तक लगभग 8 लाख रुपये (लगभग $9,200) कानूनी शुल्क के रूप में खर्च किए हैं, ताकि अपने सहकर्मी-समीक्षित प्रकाशन और वैज्ञानिक साक्ष्यों का बचाव किया जा सके। हालांकि यह विज्ञान के लिए एक छोटी जीत है, लेकिन आगे की लड़ाई अभी बाकी है, क्योंकि कई कानूनी सूत्रों के अनुसार, केरल में आयुर्वेद उद्योग उनके और उनके सह-लेखकों के खिलाफ समन्वित हमले की तैयारी कर रहा है, जो वैकल्पिक चिकित्सा के नुकसान पर रिपोर्ट प्रकाशित करने और जनता को शिक्षित करने के लिए जाने जाते हैं।
जनता से समर्थन की अपील
डॉ. फिलिप्स ने भविष्य में वैकल्पिक चिकित्सा माफिया के खिलाफ लड़ाई में जनता से समर्थन की अपील की है। उनका मानना है कि यह अब केवल उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि यह जनता बनाम छद्म विज्ञान की लड़ाई बन गई है। अपने वकीलों और मिशन फॉर एथिक्स एंड साइंस इन हेल्थकेयर (MESH) जैसे तर्कवादी समूहों के माध्यम से, वे क्राउडफंडिंग समर्थन की योजना बना रहे हैं, ताकि न केवल रक्षात्मक रूप से, बल्कि आक्रामक रूप से भी आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्ध, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा के झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके, जो जनता और मरीजों को गुमराह, गलत जानकारी और गलत इलाज कर रहे हैं।
डॉ. फिलिप्स का कहना है कि वे एक अडिग और ठोस इरादा रखते हैं, छद्म विज्ञान के नुकसान से जनता का ढाल बनकर रक्षा करेंगे और जिसके लिए लोगों से निरंतर सहयोग और समर्थन की उम्मीद करते हैं ।