हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में अदाणी समूह के ऊर्जा पार्क के लिए सीमा सुरक्षा नियमों में ढील दी है, जिससे देश की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने पाकिस्तान सीमा के पास स्थित इस संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा प्रोटोकॉल में बदलाव किए, जिससे अदाणी समूह को विश्व के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना के लिए भूमि आवंटित की जा सकी।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सैन्य विशेषज्ञों ने इस निर्णय पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण रणनीतिक जोखिम पैदा कर सकता है। दस्तावेजों से पता चलता है कि सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने प्रोटोकॉल में बदलाव के बाद इस भूमि को अदाणी समूह को सौंप दिया। इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी और गौतम अदाणी के बीच नजदीकी संबंधों को लेकर पक्षपात के आरोप भी लग रहे हैं।

विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी पर अदाणी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिका में भी धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा अनुबंधों से संबंधित रिश्वतखोरी की बात कही गई है।

इस प्रकरण ने देश में सुरक्षा और व्यापारिक हितों के बीच संतुलन को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है, जिसमें सरकार के फैसलों की पारदर्शिता और राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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