महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे अब तक कुल मामलों की संख्या 197 तक पहुंच गई है। इनमें से 104 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि 50 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं और 20 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 7 संदिग्ध मौतें भी हुई हैं।
GBS एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी और कभी-कभी लकवा जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि पुणे और आसपास के क्षेत्रों में GBS के मामलों में वृद्धि देखी गई है। पुणे नगर निगम क्षेत्र से 81, पिंपरी-चिंचवड़ से 18, पुणे ग्रामीण से 18, और अन्य जिलों से 8 मामले सामने आए हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में पानी के नमूने एकत्र किए हैं, जिनमें से कुछ में ई. कोलाई बैक्टीरिया की उपस्थिति पाई गई है, जो जल प्रदूषण का संकेत देती है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्थिति की समीक्षा की है और सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि वे स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं, और कच्चे या अधपके भोजन से परहेज करें। इसके अलावा, साबुन से हाथ धोने जैसी सामान्य स्वच्छता उपायों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।
यदि किसी व्यक्ति को मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नपन, या चलने में कठिनाई जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। समय पर उपचार से GBS के अधिकांश मामलों में पूरी तरह से ठीक होना संभव है।