ओडिशा के जाजपुर जिले के कलिंगनगर में स्थित टाटा की नीलांचल इस्पात फैक्ट्री के सामने स्थानीय आदिवासी महिलाओं ने रोजगार की मांग को लेकर धरना दिया। उनका आरोप है कि स्टील प्लांट के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन अब उन्हें रोजगार से वंचित रखा जा रहा है। धरने के दौरान सुरक्षाकर्मियों द्वारा महिलाओं के साथ बर्बरता की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें कई महिलाएं घायल हो गईं।
स्थानीय आदिवासी समुदाय का कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन प्लांट के लिए दी थी, इस आशा के साथ कि उन्हें रोजगार मिलेगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। लेकिन, प्लांट प्रबंधन द्वारा उन्हें रोजगार नहीं दिया जा रहा है, जिससे वे नाराज हैं। धरना दे रही महिलाओं पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा बल प्रयोग की निंदा की जा रही है, और इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।
प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं और आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की निंदा की है और प्रभावित महिलाओं के साथ एकजुटता व्यक्त की है।
इस घटना ने एक बार फिर से औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण और स्थानीय समुदायों के अधिकारों के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर किया है। सरकार और उद्योगों से अपेक्षा की जाती है कि वे स्थानीय समुदायों के हितों की रक्षा करें और उन्हें विकास प्रक्रिया में शामिल करें।