केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में डीएचएफएल (DHFL) और उसके निदेशकों के खिलाफ दर्ज कथित घोटाले के मामले में अपनी जांच को बंद कर दिया है। करीब दो वर्षों की लंबी जांच के बाद सीबीआई को न कोई घोटाला मिला है न कोई धोखाधड़ी।

क्या था मामला?

सीबीआई ने 2021 में डीएचएफएल (डीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड) और उसके निदेशकों कपिल वधावन और धीरज वधावन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप था कि डीएचएफएल ने “फर्जी बांद्रा शाखा” खोलकर 2.60 लाख “फर्जी और काल्पनिक होम लोन अकाउंट” बनाए, जिनके माध्यम से 14,046 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। यह भी आरोप लगाया गया था कि इन फर्जी खातों के जरिए राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) से ब्याज सब्सिडी के तौर पर 1,880 करोड़ रुपये की राशि ली गई थी।

इस मामले का आधार जीटी (ग्रांट थॉर्नटन) ऑडिट रिपोर्ट थी, जिसने दावा किया था कि डीएचएफएल ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बड़ी धोखाधड़ी की है।

सीबीआई का निर्णय

सीबीआई ने लगभग दो साल की गहन जांच के बाद इस मामले को बंद करने का निर्णय लिया है। सीबीआई ने कहा कि जांच में यह पाया गया कि डीएचएफएल द्वारा कोई धोखाधड़ी नहीं की गई है और न ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किसी तरह का घोटाला हुआ है।

सीबीआई ने अपने बयान में कहा कि यह मामला तथ्यों से परे था और डीएचएफएल पर लगाए गए आरोप साबित नहीं हो सके।

पृष्ठभूमि और आरोप

2021 में सीबीआई ने कहा था कि डीएचएफएल ने प्रधानमंत्री आवास योजना का दुरुपयोग करते हुए फर्जी खातों के माध्यम से 11,755 करोड़ रुपये की राशि जुटाई थी। यह भी आरोप था कि कंपनी ने इन फर्जी खातों के आधार पर सरकार से 1,880 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी प्राप्त की।

सीबीआई ने वर्ष 2021 से यह जांच शुरू की थी, लेकिन अब यह मामला बिना किसी दोषी को पकड़े बंद कर दिया गया है।

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